महासमुंद

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माँ कौशल्या मंदिर में सुविधाएं बढ़ाने के निर्देश …

रायपुर । माता कौशल्या मंदिर अब धीरे-धीरे पर्यटकों को आकर्षित करने लगा है। नये साल पर जिस तरह से चंदखुरी में भीड़ उतरी, उसने छत्तीसगढ़ में पर्यटन की नयी संभावनाओं को जन्म दे दिया। प्रर्यटकों के लिए ये नया टूरिस्ट स्पाट बन गया है। लोगों का माता कौशल्या मंदिर के प्रति बढ़ते आकर्षण के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने माँ कौशल्या मंदिर में सुविधाएं बढ़ाने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि चंदखुरी में भक्तों की सुविधाएं और सौंदर्यीकरण का किया जाए। सड़क चौड़ीकरण, स्ट्रीट लाईट, वाहन पार्किंग की व्यवस्था के निर्देश भी दिये गये हैं।

वहीं पेयजल हेतु मंदिर के बाहर और अंदर वाटर फिल्टर लगाया जायेगा, जबकि मंदिर की बाउंड्रीवाल को आकर्षक बनाने, बाउंड्रीवाल में रामकथा को आकर्षक तरीके से उकेरने, तालाब में समुद्र मंथन और भगवान विष्णु की मूर्ति के सौंदर्यीकरण, मंदिर के प्रवेश द्वार पर भव्य उद्यान विकसित करने के निर्देश मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव को दियेहैं।

दंतकथाओं में चंदखुरी के माता कौशल्या मंदिर का खास जिक्र

राजधानी रायपुर से 17 किलोमीटर दूर स्थित चंदखुरी गांव को भगवान राम की मां कौशल्या का जन्म स्थान माना जाता है. यहां तालाब के बीचों-बीच माता कौशल्या का मंदिर है, जो 10वीं शताब्दी में बनाया गया था. जानकारों के मुताबिक महाकौशल के राजा भानुमंत की बेटी कौशल्या का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ से हुआ था. चंदखुरी में तीन दिन तक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए. राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकार और मानस मंडलियों ने अपनी प्रस्तुतियां दीं. विवाह में भेंटस्वरूप राजा भानुमंत ने बेटी कौशल्या को दस हजार गांव दिए थे. इसमें उनका जन्म स्थान चंद्रपुरी भी शामिल था. चंदखुरी का ही प्राचीन नाम चंद्रपुरी था. जिस तरह अपनी जन्मभूमि से सभी को लगाव होता है ठीक उसी तरह माता कौशल्या को भी चंद्रपुर विशेष प्रिय था. राजा दशरथ से विवाह के बाद माता कौशल्या ने तेजस्वी और यशस्वी पुत्र राम को जन्म दिया. इसी मान्यता अनुसार सोमवंशी राजाओं द्वारा बनाई गई मूर्ती आज भी चंदखुरी के मंदिर में मौजूद है. राम वनगमन पथ छत्तीसगढ़ की अद्वितीय सांस्कृतिक धरोधर है. यह 2260 किमी लंबा है. 9 पड़ाव पौराणिक कथाओं की जीवंतता का केंद्र हैं. अभी इस प्रोजेक्ट के प्रथम चरण का लोकार्पण किया गया है. मंदिर में भगवान श्री राम को गोद में लिए हुए माता कौशल्या की मूर्ती स्थापित है. भगवान राम के वनवास से आने के बाद उनका राज्याभिषेक किया गया. उसके बाद तीनों माताएं कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी तपस्या के लिए चंदखुरी ही पहुंचीं थीं. तीनों माताएं तालाब के बीच विराजित हो गईं. कहा जाता है कि, जब इस तालाब के जल का उपयोग लोग गलत कामों के लिए करने लगे तो माता सुमित्रा और कैकयी रूठकर दूसरी जगह चली गईं. लेकिन, माता कौशल्या आज भी यहां विराजमान हैं. कमाल की बात ये है कि इस मंदिर का पहले किसी को पता नहीं था. एक भैंस की वजह से इस जगह की खोज हुई थी. भूपेश बघेल सरकार राम वनगमन पथ के 9 पड़ावों (सीतामढ़ी-हरचौका, रामगढ़, शिवरीनारायण, तुरतुरिया, चंद्रखुरी, राजिम, सिहावा (सप्त ऋषि आश्रम) को विकसित कर रही है.

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