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हीमोफीलिया की दुनिया की सबसे महंगी दवा को मिली मंजूरी

यूएस रेग्युलेटर ने हीमोफीलिया की दुनिया की सबसे महंगी दवा को मंजूरी दी है। जानकारी के मुताबिक इस दवा की एक डोज लेने के बाद इस अनुवांशिक बीमारी की नियमित चिकित्सा नहीं करनी पड़ती है। इसकी एक डोज की कीमत 35 लाख डॉलर यानी करीब 28 करोड़ 63 लाख रुपये है। सीएसएल बेहरिंग ने हीमोफीलिया बी जीन थेरेपी नाम की दवा बनाई है।

सीएसएल बेहरिंग की ‘हेमजेनिक्स’ के सेवन से 54 फीसदी तक ब्लीडिंग कम हो जाती है। बता दें कि हीमोफीलिया के चलते लोगों को ब्लड जमता नहीं है। ऐसे में ब्लीडिंग के चलते जान भी जा सकती है। यह बीमारी खतरनाक इसलिए मानी जाती है क्योंकि इस तरह की ब्लीडिंग कभी भी शुरू हो सकती है। इस दवा के जरिए फैक्टर IX दिया जाता है जो कि मरीजों को बुरी स्थिति में पहुंचने से बचाता है।

बायोटेक्नॉलजी इन्वेस्ट्र और लोनकैर इन्वेस्टमेंट के चीफ ब्रैड लोनकैर ने कहा कि इस दवा की कीमत ज्यादा है लेकिन पहले से मौजूद दवाएँ भी काफी महंगी हैं। इस दवा के बराबर वे इलाज में कारगर भी नहीं हैं। इस दवा से मरीजों के भीतर का डर निकल जाएगा। जीन थेरेपी से हीमोफीलिया को काफी लाभ मिल सकता है।

इससे पहले 2019 में मंजूर की गई बच्चों की एक दवा सबसे कीमती दवा थी। इसका नाम नोवार्टिस एजी जोलजेन्समा था। इसकी कीमत 21 लाख डॉलर थी। इसी साल की शुरुआत में ब्लड डिसॉर्डर के लिए ब्लूबर्ड बायो की जिन्टेग्लो दवा भी आई थी जिसकी कीमत 28 लाख डॉलर है। यूएस फूड ऐंड ड्रग ऐनडिमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्टर पीटर मार्क ने बताया कि हीमोफीलिया के इस अडवांस ट्रीटमेंट से मरीजों की जिंदगी सुधर सकती है।

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