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महात्मा गांधी के विचार से नेहरू जी और सुभाष चंद्र बोस भी थे असहमत- राम माधव

रायपुर। छत्तीसगढ़ यंग थिकर्स फोरम के कार्यक्रम में पहुंचे भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा कि महात्मा गांधी से असहमति सिर्फ संघ की नहीं थी। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस भी गांधी के विचार से असहमत थे।

अपनी किताब बिकाज इंडिया कम फस्ट पर चर्चा में राम माधव ने कहा कि 1945 में गांधी और नेहरू के बीच हुए पत्र व्यवहार में वैचारिक मतभेद का जिक्र है। इस पत्र में गांधी ने नेहरू को लिखा है कि मेरे विचारों से तुम्हारा फंडामेंटल विरोध है, जिसका मुझे दुख है। आखिर क्यों नहीं हमारे बीच मतभिन्न्ता को देश के सामने रखा जाए। नेहरू ने जवाब में कहा था कि आजादी मिलने वाली है। देश में यह संदेश नहीं जाना चाहिए कि गांधी और नेहरू के बीच मतभेद है।

राम माधव ने कहा कि गांधी से कुछ विषयों पर संघ का मतभेद था। लेकिन गांधी ने देश की सनातनी सभ्यता को विश्व के सामने रखा। उनकी आजादी का आंदोलन भी सनातनी विचारों से प्रेरित था। उन्होंने अहिंसा परमो धर्म को भागवत गीता से लिया और आजादी के आंदोलन में हथियार बनाया।

गांधी के इस विचार को कई देशों ने अपनाकर आजादी प्राप्त की। 1947 में दुनिया ने देखा की अहिंसा के माध्यम से भी आजादी पाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि गांधी की हत्या की संघ ने भी निंदा की थी और दो दिन के लिए प्रार्थना सभा को स्थगित कर दिया था।

गांधी 1950 में संघ की सुबह की प्रार्थना में शामिल हुए। झूठा आरोप लगाने के बावजूद संघ ने गांधी को प्रार्थना में जोड़ा। तब से लेकर आज तक हम रोज गांधी को याद करते हैं। राम माधव ने कहा कि जब चीन ने तिब्बत पर कब्जा करने की कोशिश की, तब भारत ने सही तरीके से विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में धारा 370 राष्ट्रीय एकता में बाधक थी। आज कश्मीर की जनता को देश की जनता से आश्वासन चाहिए कि वह भी हमारे साथ है।

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