कोरबा में काफी हल्के में लिया जा रहा है सचिवों को 21 से आमरण अनशन करने की तैयारी
कोरबा। दो वर्ष की परिविक्षा अवधि पूरी करने पर नियमितिकरण करने की मांग को लेकर पंचायत सचिव कोरबा से प्रदेश भर में हड़ताल पर है। 21 दिन बीतने पर भी सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। 20 जनवरी तक क्रमिक भूखहड़ताल करने के बाद वे रायपुर में 21 जनवरी से आमरण अनशन करेंगे। सरकार को इस बारे में अवगत कराया गया।
सभी जिलों में पंचायत सचिवों ने अपनी एक मात्र मांग को लेकर कामकाज ठप्प कर रखा है। इसके साथ उनके विकल्प में दूसरे अमले से काम कराने पर आपत्ति भी जताई है। सरकार की कोशिश रही की करारोपण अधिकारियों और दूसरे कर्मियों के जरिए पंचायत का काम कराया जाए। इसको लेकर तकरार कायम है। पंचायत सचिवों के द्वारा हड़ताल करने से ग्रामीण विकास विभाग के द्वारा संचालित योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित हुआ है। इसके साथ ही कई पेंशन योजनाओं और अन्य कार्यों का संपादन भी नहीं हो पा रहा है। कोरबा के तानसेन चौक सहित अन्य ब्लाक मुख्यालयों में पंचायत सचिव पिछले दिसंबर से प्रदर्शन कर रहे है। अब तक उन्हें अनेक संगठन समर्थन दे चुके है। सभी कहना है कि पंचायत सचिवों की मांग उचित है।
शिवसेना ने बताया सही कदम
शिवसेना की जिला इकाई ने पंचायत सचिव के द्वारा किये जा रहे प्रदर्शन को उचित ठहराया। इस मामले को समर्थन देने को कहा की उनके संघर्ष में साथ दिया जायेगा। जिलाध्यक्ष रवि मेजरवार ने कहा कि इस दिशा में सरकार से प्रभावी पहल की जायेगी। मनोज केशरवानी, मो. खलील, रवि श्रीवास, शिव रंजनीरानी, रूखमणी राव के अलावा जिले के प्रमुख पदाधिकारी और कार्यकर्ता सचिवों के पंडाल में बैठे।
मध्यप्रदेश ने किया नियमित
छत्तीसगढ़़ में एक सूत्रीय मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे पंचायत सचिवों का कहना है कि उनकी मांग व्यवहारिक है और सही भी। तर्क दिया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ के बड़े भाई मध्यप्रदेश ने अपने यहां पंचायत सचिवों को शासकीय कर्मचारी का दर्जा देने के साथ नियमित कर दिया है। अविभाजित मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ बना है इसलिए यहां भी इस व्यवस्था पर अमल किया जाना चाहिए।