छत्तीसगढ़

रायपुर में माता-पिता और भाई थे बीमार, बच्चे ने काल किया तो पुलिस परिवार ने भिजवाई दवा

रायपुर। राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर की चपेट में आ रहे गरीब व मध्यम परिवार काफी परेशान है। लाकडाउन के कारण काम धंधे बंद है। पेट चलाना तक जहां मुश्किल हो गया है। दो जून की रोटी का जुगाड़ किसी तरह से कर पा रहे है।

ऊपर से कोरोना के कहर ने कमर तोड़ दी है। सरकारी अस्पताल में बेड की कमी है तो मंहगे और निजी अस्पतालों में लूट-खसोट मची हुई है। ऐसे में गरीब, मध्यम वर्ग इलाज कराने जाए तो कहां जाए?

मददगार बनकर सामने आया पुलिस परिवार रोज किसी न किसी मरीज को प्लाज्मा, खून की जरूरतों की पूरी कर रहा है। बुधवार को एक के बाद एक दो काल पुलिस परिवार के हेड कांस्टेबल परमानंद सिंह के पास ऐसे आए जिन्हे सुनकर वे द्रवित हो उठे। ये काल शहर के रामनगर और कुकरबेड़ा के दो बच्चों ने किया था।

उन्हें किसी के जरिए जानकारी मिली थी कि पुलिस परिवार हर किसी को मदद पहुंचा रहा है। बच्चों ने बताया कि घर में मां-पिता और भाई कोरोना से संक्रमित हैं।

किसी तरह डाक्टर को दिखवा कर घर लाए हैं लेकिन दवा खरीदने के लिए पैसे नही हैं, प्लीज अंकल मदद करिए। यह आवाज सुनते ही परमानंद ने तत्काल उन बच्चों के घरों का पता पूछा फिर दवाईयों के जानकार नवीन जग्गी को काल कर जरूरत की दवाइयों का प्रबंध करने का अनुरोध किया।

कोरोना संक्रमित दोनों पीड़ित परिवारों को दस-दस दिन की दवाई परमानंद सिंह ने अपने बेटे परमवीर सिंह के हाथों भिजवाया। इस दौरान संक्रमण के डर से बच्चे घर से बाहर नहीं निकले, उनके सामने ही परमवीर ने दवाइयों को बाहर रखकर ले जाने को कहा।

परमानंद सिंह ने बताया कि कोरोना से लड़ने के लिए इंसान भी मजबूत होना जरूरी है। छत्तीसगढ़ में बढ़ रहे कोरोना संक्रमण की इस विकट परिस्थिति में पुलिस परिवार जरूरतमंदों की मदद करने में खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

दो पीड़ित परिवारों को दस-दस दिन की दवाइयां उपलब्ध कराने में मेडिकल के जानकार नवीन जग्गी ने विशेष सहयोग दिया है। उम्मीद है दोनों परिवार के सदस्य जल्द ही इस बीमारी से ठीक हो जाएंगे। कोरोना से डरना नहीं बल्कि लड़ना है।

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