छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में लाकडाउन में काला बाजारी करने वालों पर कार्रवाई करने की मांग

रायपुर। कोरोना महामारी में पिछले महीने नौ अप्रैल से लगे लाकडाउन के चलते लगभग 50 दिनों तक बाजार बंद रहे। इस दौरान आम लोगों को जरूरत की सामग्री नहीं मिल पाई। थोक बाजार खुलने और गली मोहल्लों में दुकानों को अनुमति देने के बाद जमकर काला बाजारी की गई। रोजमर्रा की खाद्य सामग्री दुगने से भी अधिक कीमतों पर बेची गई। ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई करने की मांग युवाओं ने की है।

सदर बाजार निवासी समाजसेवी जितेंद्र शर्मा, गिरिराज शर्मा, लोकेश शर्मा ने काला बाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मुख्यमंत्री और कलेक्टर को पत्र लिखा है। पत्र में कहा है कि लाक डाउन की आड़ में किराना एवं अनाज की कीमतों पर किसी का ध्यान नहीं गया। दुकानदारों ने मनमानी कीमत वसूली।

कोरोना वायरस से जनता वैसे ही भयभीत है। काम धंधा, आमदनी सब चौपट है। ऊपर से महंगाई ने कमर तोड़ दी। लाकडाउन की आड़ में बाजार में खाने का तेल जो एक महीने पहले तक 1800/1900 रुपये प्रति पीपा मिल रहा था। वह 2400 से 2600 रुपये तक बेचा गया। चिल्हर में 125 – 130 रुपये में मिल रहा था। वह लाक डाउन में 160- 170 रुपये में बेचा गया।

जनता को अधिक कीमत में खरीदने को मजबूर होना पड़ा। इसी तरह पांच किलो आटा की थैली जो 180 रुपये कीमत की थी, उसे 220 रुपये तक बेचा गया। 36 रुपये में मिलने वाली शक्कर 45 से 50 रुपये तक बेची गई। अन्य सामग्री चावल, गेहूं , मिर्ची मसाला की कीमतों में भी प्रति किलो 5 से 10 रुपये अधिक देना पड़ा।

अभी महामारी खत्म नहीं हुई है, आगे और भी बाजार बंद होने की नौबत आ सकती है। ऐसे में सरकार को सबसे पहले खाने पीने की चीजों में ध्यान देना चाहिए। यदि सरकार ने कठोर कदम नहीं उठाए तो ऐसा ही चलता रहेगा। जनता कोरोना वायरस से कम महंगाई के बोझ तले मरने लगेंगी।

मजबूरी में जनता ने जैसे तैसे कर्जा लेकर अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए सामान खरीदा। इधर-उधर हाथ पैर मारकर काम चला रहे हैं,सारा काम बंद पड़ा है। आखिर मध्यम परिवार के लोग कैसे अपना खर्च चलाएंगे। सरकार से निवेदन है की ऐसे समय पर चाहे तेल हो, अनाज हो, किराना हो, सभी जरूरत मंद सामग्री की कीमतें निर्धारित की जाए।

इससे अधिक कीमत में बेचने वालों पर आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। व्यापारियों से आग्रह है कि कम-से-कम रेट पर व्यापार करें। किसी की मज़बूरी का फायदा न उठाए। सरकार यदि हकीकत में जनता की सेवा करना चाहती है तो केन्द्र सरकार को तत्काल पत्र लिखे । अनाज किराना सभी चीजों के रेट कम करें ।

दुकान के बाहर रेट लिस्ट लगाएं

वार्ड स्तर पर हर किराना अनाज दुकान पर रेट लिस्ट चिपकाया जाए। जिस तरह सरकार ने अस्पतालों के ऊपर लगाम कसी है, वैसे ही अनाज किराना दुकान दारों पर नजर डालें। हर दुकानदार अपने हिसाब से बिल बना रहा है। मनमानी करने वालों की दुकान सील की जाए।

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