छत्तीसगढ़

बिलासपुर में सेवानिवृत्त प्रधान आरक्षक के खिलाफ वसूली आदेश को हाई कोर्ट ने किया निरस्त

बिलासपुर। प्रधान आरक्षक की सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें अधिक वेतन भुगतान करने का हवाला देकर उनकी ग्रेच्युटी से वसूली आदेश जारी कर दिया गया।

इस मामले को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कोष लेखा व पेंशन विभाग के संयुक्त संचालक द्वारा जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही याचिकाकर्ता को शीघ्र ही उनके समस्त देयकों का भुगतान करने का आदेश दिया है।

 

उसलासपुर स्थित वैष्णवी विहार निवासी ललित प्रसाद शुक्ला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में प्रधान आरक्षक के पद पर कार्यरत थे। लंबी सेवा अवधि पूरी होने के बाद 60 साल की आयु में उन्हें 28 फरवरी 2021 को उन्हें सेवानिवृत्ति दी गई।

सेवानिवृत्ति के करीब तीन माह बाद कोष एवं लेखा पेंशन विभाग के संयुक्त संचालक ने पूर्व की सेवा वर्षों में उन्हें गलत वेतन भुगतान करने का उल्लेख करते हुए उनके ग्रेच्युटी की राशि से वसूली आदेश जारी कर दिया।

 

इस आदेश से परेशान होकर उन्होंने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व लक्ष्मीन कश्यप के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। इसमें उन्होंने संयुक्त संचालक के वसूली आदेश को चुनौती दी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पंजाब राज्य विस्र्द्ध रफीक मसीह के प्रकरण में जारी आदेश का उल्लेख किया गया।

साथ ही तर्क दिया कि किसी भी तृतीय श्रेणी कर्मचारी व सेवानिवृत्त कर्मचारी के विस्र्द्ध पूर्व के वर्षों में अधिक राशि भुगतान के कारण उनके सेवानिवृत्ति देयकों में किसी तरह की कटौती या फिर वसूली आदेश जारी नहीं किया जा सकता है।

इस प्रकरण में याचिकाकर्ता प्रधान आरक्षक के पद पर पदस्थ थे। जो तृतीय श्रेणी का पद है। लिहाजा, उनके देयकों में किसी तरह से वसूली आदेश जारी करना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत है। याचिका में यह भी बताया गया कि वसूली आदेश जारी करने के पहले याचिकाकर्ता को न तो सुनवाई का अवसर दिया गया है और न ही उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

 

यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। इस प्रकरण की सुनवाई जस्टिस पी.सेम कोशी की एकलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए कोर्ट ने कोष लेखा एवं पेंशन विभाग के संयुक्त संचालक द्वारा जारी वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है। साथ ही संयुक्त संचालक व बिलासपुर पुलिस अधीक्षक को आदेशित किया गया है कि याचिकाकर्ता को तत्काल उनके समस्त देयकों का भुगतान किया जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button