रायपुर। दूसरी लहर के पीक के सात माह बाद सोमवार को छत्तीसगढ़ और रायपुर में कोरोना विस्फोट जैसे हालात बन गए हैं। प्रदेश में एक दिन में 698 और राजधानी में 222 केस मिले हैं। रायपुर में पिछले साल 25 मई को एक दिन में 209 केस मिले थे, इसके पूरे 224 दिन बाद शहर में इतने केस मिले। राजधानी के आईआईटी सेजबहार हास्टल में 48 छात्र-स्टाफ पाजिटिव निकले हैं। इसी तरह, सुकमा में 38 जवान एक साथ पाॅजिटिव पाए गए हैं। हालात के मद्देनजर सीएम भूपेश बघेल ने सोमवार को दोपहर प्रदेश के सभी मंत्रियों और आला अफसरों की आपात बैठक बुला ली।
बैठक के बाद सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है। सीएम समेत यहां के डाक्टरों ने इसे कोरोना की तीसरी लहर की दस्तक करार दिया है। प्रदेश में संक्रमण ओमिक्रान के फैलाव जैसा है, हालांकि अब तक यहां से भेजे गए किसी सैंपल में नए वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है। जिस तरह दुनियाभर में अभी 15 से 30 साल की उम्र के बच्चों और वयस्क में अभी केस ज्यादा निकल रहे हैं, वैसी ही स्थिति यहां भी है। राजधानी में केवल 8 दिन में 37 गुना रफ्तार से केस बढ़े हैं। 27 दिसंबर को जहां 6 केस दर्ज किए थे। वो केवल 8 दिन में बढ़कर 222 नए केस पर आ गए हैं।
अगर केवल चार दिन की स्थिति का आंकलन करें तो 31 दिसंबर को शहर में 51 नए केस मिले थे, उसमें चौगुना बढ़ोतरी दर्ज की गई है। रायपुर में एक हफ्ते में मिले 425 से अधिक केस में करीब 45 लोग ही ऐसे हैं जिनको दोनों डोज लगे हैं। अर्थात ज्यादातर केस अब उन लोगों में आ रहे हैं जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाया है। या केवल एक ही डोज लगाया है। बच्चों में अचानक केस बढ़ने के पीछे जानकार वैक्सीन नहीं लगवाने को अहम वजह बता रहे हैं। राजधानी में अब तक 60 से अधिक बच्चे कोरोना की जद में आ चुके हैं। इसमें भी 20 से अधिक बच्चे 15 साल से कम उम्र के हैं। इसमें एक साल और एक साल से कम उम्र के बच्चे भी हैं। जो परिवार के लोगों के संक्रमित होने के बाद पॉजिटिव निकले।
एक्सपर्ट व्यू; ओमिक्रॉन और डेल्टा के मेल का डर ज्यादा
विशेषज्ञों के अनुसार डेल्टा और ओमिक्रॉन के मेल से बनने वाले मिक्स वैरिएंट म्यूटेशन का डर ज्यादा है। अधिकांश देशों में जहां तेजी से केस बढ़ रहे हैं, वहां ये ट्रेंड भी देखा जा रहा है। प्रदेश में हालांकि अभी तक ओमिक्रॉन का एक भी मामला सामने नहीं आया है। लिहाजा फिलहाल की स्थिति में दोनों वैरिएंट के कॉकटेल जैसी स्थिति नहीं है। डेल्टा वैरिएंट की वजह से प्रदेश में अधिकतम मौतें दर्ज हुई थी। हालांकि बाद में मौत के मामले धीरे धीरे घटते गए हैं। वैरिएंट पॉजिटिव आए ज्यादातर वैरिएंट को वर्णक्रम में नंबर के आधार पर रखा गया है।