हेल्थ

आईआईटी भिलाई के विशेषज्ञ ने एक ऐसा स्मार्ट इन्सुलिन माइक्रो निडिलस्मार्ट डिवाइस बनाया जो मेंटेन करेगा शुगर

भिलाई। डायबिटिज मरीजों को राहत देने के लिए आईआईटी भिलाई के विशेषज्ञ ने एक ऐसा स्मार्ट इन्सुलिन माइक्रो निडिल बनाया है, जो शरीर में बेंडेड की तरह चिपका रहेगा और शुगर की मात्रा को जांचते रहेगा।जैसे ही शुगर लेवल बढ़ेगा यह डिवाइस अपने आप ही शरीर को इंसुलिन की जितनी मात्रा चाहिए, उतनी शरीर में इंजेक्ट कर देगा। इससे मरीजों को रोज लगने वाले इंजेक्शन के दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।

दो साल की मेहनत के बाद सफलता

आईआईटी भिलाई के केमेस्ट्री डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सुचेतन पाल ने बताया कि दो साल की कड़ी मेहनत के बाद उनकी टीम ने स्मार्ट इंसुलिन डिवाइस बनाया है।

उनकी टीम में मैकेनिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ विजय दुर्योधन और एक स्टूडेंट अकबर अली है। उन्होंने इस पर पीएचडी की है। इस स्मार्ट इन्सुलिन का नाम उन्होंने माइक्रो निट इंसूलिन रखा है।

शुगर की मात्रा को डिटेक्ट करता रहेगा

डॉ सुचेतन ने बताया कि माइक्रो निडिल शरीर में ब्लड के टच में रहेगा, जो ब्लड में शुगर की मात्रा को लगातार डिटेक्ट करता रहेगा। जैसे ही मात्रा बढ़ेगी वैसी ही यह डिवाइस दवा को शरीर में इंजेक्ट कर देगा। वो भी उतना, जितना शरीर को चाहिए। न कम न ज्यादा। इन्सुलिन लेने के बाद खाना नहीं खाने से शुगर गिर जाता है।

स्टार्च से बनाया माइक्रो निडिल

मरीजों को दर्द से राहत देने और प्रोडक्ट सस्ता हो, इसके लिए चावल के स्टार्च से माइक्रो निडिल बनाया है। आम निडिल स्टील की होती है। छत्तीसगढ़ में आसानी से चावल का स्टार्च सस्ते में मिल जाता है। इससे यह प्रोडक्ट मात्र 100 रुपए में लोगों को मिल सकेगा। स्मार्ट इन्सुलिन का एक पैच दो से तीन बार उपयोग होगा।

रिसर्च के लिए भारत सरकार ने दिया फंड

इस रिसर्च के लिए भारत सरकार साइंस एंड इंजीनियरिंग बोर्ड के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी से 27 लाख रुपए का फंड मिला है। दो साल से दो एक्सपर्ट और एक स्टूडेंट इस पर रिसर्च किए हैंं। अभी विशेषज्ञ यह शोध कर रहे हैं कि इस स्मार्ट इन्सुलिन के उपयोग से कितना समय तक मरीज का शुगर सामान्य रहता है।

20 चूहों पर चार बार कर चुके प्रयोग

ही वे इसे पेटेंट करवाने वाले हैं। फिलहाल यह पूरी तरह से इंसानों के लिए लाभदायक है कि नहीं, इसकी जांच की जा रही है। 20 चूहों पर 4 बार प्रयोग में सफलता मिली है। अब इसे इंसानों पर प्रयाेग करेंगे। इसके लिए उनकी रिसर्च टीम की एम्स रायपुर के अधिकारियों से बातचीत चल रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button