गहरी नींद का दिमाग से है खास कनेक्शन! समय से पहले बूढ़ा न हो मस्तिष्क इसलिए तुरंत स्टार्ट करें ये काम! पढ़ें वैज्ञानिकों की चेतावनी!
नई दिल्ली : अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद को काफी प्रभावशील माना गया है। बेहतर सेहत के लिए न सिर्फ 6-8 घंटे की नींद जरूरी है, साथ ही जरूरी है कि आपकी नींद गहरी भी हो। नींद की गुणवत्ता को कई अध्ययनों में बेहतर स्वास्थ्य के लिए अति आवश्यक बताया गया है। यदि आपकी नींद बार-बार टूट जाती है या फिर स्लीप एपनिया या अनिद्रा जैसी स्वास्थ्य समस्या के शिकार हैं तो सावधान हो जाइए, यह आपकी दिक्कतों को काफी हद तक बढ़ाने वाली हो सकती है।
शोधकर्ताओं ने अध्ययन में पाया है कि जिन लोगों की नींद अच्छी तरह से पूरी नहीं होती है या फिर आप गहरी नींद नहीं ले पा रहे हैं तो ये स्थिति गंभीर रोगों का कारण बन सकती है। यह कई प्रकार की न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाने के साथ स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थिति का भी कारण बन सकती है। वैज्ञानिकों की टीम का कहना है कि सभी लोगों को इन रोगों से बचाव के लिए नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के तरीकों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
गहरी नींद की कमी बढ़ा देती है मस्तिष्क की समस्याओं का जोखिम
जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि स्लीप एपनिया वाले लोग, जिन्हें अक्सर गहरी नींद न ले पाने की समस्या होती है, उनमें मस्तिष्क संबंधी विकारों का जोखिम अधिक हो सकता है। ऐसे लोगों में डिमेंशिया, अल्जाइमर रोग या स्ट्रोक का जोखिम अन्य लोगों की तुलना में अधिक देखा गया है।
इससे पहले के अध्ययनों में नींद की समस्याओं और संज्ञानात्मक गिरावट के साथ डिमेंशिया के बीच संबंधों को दिखाया गया था। इस अध्ययन में इसके संभावित कारणों को पता लगाने की कोशिश की गई है।
अध्ययन में क्या पता चला?
इस अध्ययन के लिए स्लीप एपनिया से पीड़ित 140 लोगों को शामिल किया गया था, जिनकी औसत आयु 73 वर्ष थी। शोधकर्ताओं ने रात की नींद के बाद दिमाग के एमआरआई के अध्ययन से डेटा का विश्लेषण किया। इसमें पाया गया कि गहरी नींद न ले पाने की समस्या (जिसे स्लो-वेव या नॉन-आरईएम स्टेज 3 भी कहा जाता है) का सीधा संबंध ब्रेन एजिंग को बढ़ावा देने से देखा गया।
मसलन कोई व्यक्ति जितना कम समय गहरी नींद में बिताता है, उसका दिमाग उतना ही उम्रदराज दिखता है। यानी कि अगर आप गहरी नींद नहीं ले पा रहे हैं तो यह समय से पहले ही मस्तिष्क की उम्र को बढ़ाने वाली स्थिति हो सकती है, इससे कम उम्र में ही डिमेंशिया जैसे रोगों का खतरा हो सकता है, जिसे आमतौर पर 60 की आयु के बाद होनें वाली समस्या माना जाता रहा है।
क्या कहते हैं शोधकर्ता?
मेयो क्लिनिक के शोधकर्ताओं ने स्लीप एपनिया वाले लोगों में मस्तिष्क स्वास्थ्य के दो मेजर्स की जांच की। एमआरआई से मस्तिष्क की तस्वीरों का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने ब्रेन एजिंग के संकेत वाले सफेद स्पॉट्स और तंत्रिका कनेक्शन के बारे में पता लगाया।
शोधकर्ता डिएगो जेड कार्वाल्हो कहते हैं कि हमारे निष्कर्ष महत्वपूर्ण हैं क्योंकि मस्तिष्क में इन परिवर्तनों का कोई इलाज नहीं है, इसलिए हमें उन्हें होने या इसके लक्षणों को बिगड़ने से रोकने के तरीके खोजने की जरूरत है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि सभी लोगों को सुनिश्चित करना चाहिए कि आप गहरी और अच्छी नींद लें। इसके लिए मेडिटेशन और तनाव प्रबंधन जैसे उपायों को प्रयोग में लाया जा सकता है जो आपके जोखिमों को कम करने में सहायक हो सकती हैं।