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रुठे रब को मनाना आसान है, रूठे कार्यकर्ता को मनाना मुश्किल है’

रायपुर । छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले उम्मीदवारों की सूची जारी करने वाली बीजेपी अच्छी तरह जानती थी कि लिस्ट आते ही पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी सामने आएगी। सामने चुनाव है, लिहाजा उन्हें मनाने के लिए भी वक्त चाहिए। इसीलिए उसने पहले से तैयारी कर सूची जारी कर दी। पार्टी के कार्यकर्ता तो वायरल हुई सूची को देखकर ही बवाल काटने लगे थे। सियासी हल्कों में तो ये भी कहा जा रहा था कि ये बीजेपी का लिटमस टेस्ट था। वो ये जानना चाहती थी कि नाराजगी किस हद तक होगी? ये सच इसलिए भी लगता है कि वायरल हुई सूची ही करीब-करीब पार्टी की दूसरी सूची के रुप में जारी हुई।

पार्टी में बगावत के सुर तेज हो गए हैं। बीजेपी के प्रदेश मुख्यालय से लेकर जिला मुख्यालय में सैकड़ों की संख्या में दावेदारों की खिलाफत सूची जारी होने से पहले ही शुरू हो गई थी। मजे की बात ये है कि जिन प्रत्याशियों का विरोध हो रहा है या हो रहा था, उसके प्रदर्शन के दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के सामने तक नारेबाजी हो गई। प्रत्‍याशी का नाम फाइनल होने के साथ ही टिकट के दावेदारों की नाराजगी और गुस्‍सा भी सामने आने लगा है। हालांकि पार्टी ने डैमेट कंट्रोल करने के लिए कुछ टिकट के दावेदारों को पार्टी संगठन में नई जिम्‍मेदारी सौंप दी है।

इसके बावजूद टिकट न मिलने का दर्द कई आंखों में साफ देखा जा सकता है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि जनसंघ से लेकर आज तक जनता ने बीजेपी प्रत्याशी को विधायक बनाया है। वे समर्पित होकर पार्टी के लिए मेहनत करते हैं। ऐसे में चुनाव के लिए अचानक बाहरी लोगों की एंट्री से उनका गुस्सा स्वभाविक है। स्थानीय लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए वे कह रहे हैं कि उन्हें पैराशूट लैडिंग नहीं चाहिए। विरोध का आलम ये है कि प्रदेशभर के कार्यकर्ता रायपुर के प्रदेश मुख्यालय पहुंचकर नाराजगी जताते, नारेबाजी करते नजर आ रहे हैं। कोई सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, कोई रोते नजर आ रहा है तो कोई बलिदान की दुहाई दे रहा है।

आरंग में खुशवंत से खुश नहीं

आरंग में एक महीने पहले बीजेपी ज्वाइन करने वाले खुशवंत साहेब को टिकट मिल गई है। खुशवंत साहेब को टिकट न दिए जाने की मांग करते हुए इलाके में प्रदर्शन पहले ही किया जा रहा था। पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि पांच साल तक इलाके में भाजपा का झंडा बुलंद करने वाले नेता और कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर अचानक पार्टी में आए व्यक्ति को टिकट दिया जाना गलत है।

तखतपुर में धर्मजीत सिंह का विरोध

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ से बीजेपी में आए विधायक धर्मजीत सिंह को तखतपुर विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा पहले से थी। वायरल सूची में भी उनका नाम था, लिहाजा तखतपुर के संगठन पदाधिकारियों ने विरोध किया। स्थानीय पदाधिकारियों ने पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के नाम ज्ञापन सौंपकर कहा है कि तखतपुर 50 साल से बीजेपी का गढ़ रहा है और यहां से पार्टी के विधायक रहे हैं। हर्षिता पांडेय के समर्थन में जमकर नारेबाजी भी हुई।

धरसींवा में अनुज की खिलाफत

धरसींवा विधानसभा में अभिनेता से नेता बनने चले पद्मश्री अनुज शर्मा का विरोध हो रहा है। यहां तो पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों की नाराजगी का ये आलम था कि उन्होंने वायरल सूची देखने के बाद अनुज शर्मा का पुतला भी फूंक दिया। ब्राह्मणों को साधने के लिए बीजेपी ने अनुज शर्मा को टिकट दी है, लेकिन कार्यकर्ताओं की नाराजगी ने पार्टी की टेंशन बढ़ा दी है।

सौरभ की स्वीकार नहीं

अकलतरा इलाके के लोगों ने विधायक सौरभ सिंह को टिकट मिलने से पहले ही विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। रायपुर के भाजपा कार्यालय में घुसकर सैकड़ों बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस बात पर ऐतराज जताया था कि संभावित प्रत्याशियों की सूची में सौरभ सिंह का भी नाम है। पार्टी ने फिर से सौरभ सिंह को रिपीट कर दिया है। मगर कार्यकर्ता नाराज हैं और उनके लिए काम करने को तैयार नहीं है। कार्यकर्ताओं का आरोप है कि विधायक सौरभ सिंह ने अकलतरा क्षेत्र में संगठन को बर्बाद करने का काम किया है।

मस्तूरी में बांधी को लेकर बवाल

बिलासपुर जिले में भी कार्यकर्ता प्रत्याशी बदलने की मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। भाजपा विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं ने लिस्ट जारी होने से पहले ही उनका नाम होने की सूचना पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। गुस्साए मस्तूरी इलाके के कार्यकर्ताओं ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव के बंगले का घेराव तक किया। कार्यकर्ताओं का कहना था कि 20 साल से एक ही चेहरे को बीजेपी मौका दे रही है। इस बार नए और युवा चेहरे को सामने लाना चाहिए।

मोतीलाल भी पसंद नहीं

रायपुर ग्रामीण से उत्तर भारतीय समाज के एक धड़े में नाराजगी है। वो बीजेपी नेता रविंद्र सिंह को टिकट दिए जाने की मांग कर रहे हैं। पार्टी में रायपुर ग्रामीण सीट से उन्हें टिकट न मिलने की चर्चा पर उनके समर्थकों में और उत्तर भारतीय समाज के लोगों में भारी नाराजगी है। यहां से ममता साहू भी टिकट की मांग कर रही थी, उन्हें टिकट न मिलने से उनके समर्थक निराश हैं।

पुरंदर मिश्रा को टिकट से सिंधी समाज नाराज

गुजराती समाज और सिंधी समाज अपने समाज के प्रत्याशियों को टिकट देने की मांग को लेकर प्रदेश प्रभारी और चुनाव समिति के प्रमुख ओम माथुर को पत्र लिख चुके थे। रायपुर उत्तर से सिंधी या सिख समुदाय के प्रत्याशी की मांग की जा रही थी। श्रीचंद सुंदरानी को भी टिकट मिलने की आस थी। लेकिन उनकी जगह पुरंदर मिश्रा को टिकट दिए जाने से सिंधी समुदाय के लोगों में गुस्सा है।

आंसू बनकर छलका दर्द और गुस्सा

पूर्व मंत्री गणेशराम भगत को भाजपा ने टिकट नहीं दी है। जशपुर से पार्टी ने रायमुनि भगत को मैदान में उतारा है। इसके बाद गणेशराम भगत का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वे जनजातीय सुरक्षा मंच के अपने सदस्‍यों के साथ चर्चा करते दिख रहे हैं। बात करते-करते वे रोने लगते हैं। बड़े नेताओं के आश्‍वासन के बाद भी टिकट नहीं मिलने पर भगत वीडियो में कह रहे हैं कि अभी नहीं हुआ तो जशपुर गया। इसी तरह दंतेवाड़ा सीट से भाजपा विधयाक रहे भीमा मंडावी की बेटी दीपा मंडावी का भी एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दीपा अपने पिता के बलिदान का जिक्र करते हुए कह रही है कि उसकी मां को टिकट न देना उनके पिता के समर्पण का अपमान है।

ईश्वर साहू भी नहीं चाहिए

बीजेपी ने बेमेतरा जिले के साजा विधानसभा से बिरनपुर हिंसा में मारे गए भुवनेश्वर के पिता ईश्वर साहू को उम्मीदवार बनाया हैष भुवनेश्वर की हत्या एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा की गई थी। पार्टी के हिंदुत्व वाले इस दांव से स्थानीय कार्यकर्ताओं को ऐतराज है। उनका कहना है कि इलाके में पार्टी के जिन लोगों ने पांच साल तक काम किया है, उन्हें मौका नहीं मिला। पार्टी ने एक ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दी, जो टिकट मिलने से पहले पार्टी का सदस्य तक नहीं था।

मना लिए जाएंगे रुठे कार्यकर्ता: रमन सिंह

पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का कहना है कि पूरे प्रदेश में भाजपा के कार्यकर्ता संघर्ष करते रहे। सभी वर्षों से लगे हुए हैं। सबकी उम्मीद रहती है कि हमें अवसर मिलेगा। मगर हर क्षेत्र में 6-8 लोग होते हैं। सभी कोशिश में रहते हैं कि उन्हें मौका मिले, मगर मौका इनमें से एक को ही मिलेगा। तो बाकी लोगों में निराशा होती है, ये निराजा दो-चार दिन रहती है। वो सभी पुराने कार्यकर्ता हैं, उनसे बातचीत कर लेंगे। कोई नाराजगी नहीं होगी सब कमल खिलाने की दिशा में काम करेंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव का कहना है कि सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। सभी लोग अपनी बात रख सकते हैं। लेकिन पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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