खरोराछत्तीसगढ़

एमेटी यूनिवरसिटी मे सोशल इमपेक्ट फ़िल्म निर्माण कार्यशाला का किया उद्घाटन

खरोरा / रवि कुमार तिवारी 

अमेरिकी कौंसल जनरल, मुंबई माइक हैंकी ने एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, रायपुर में ‘सोशल इम्पैक्ट फिल्म निर्माण कार्यशाला’ का उद्घाटन किया।

सीएमएस वातावरण, कौंसल जनरल, मुंबई के सहयोग से और एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़ के साथ साझेदारी में, ‘ग्रीन फ्रेम्स: वातावरण शॉर्ट फिल्म वर्कशॉप’ के तहत दो दिवसीय ‘सोशल इम्पैक्ट फिल्म निर्माण कार्यशाला’ का सफलतापूर्वक आयोजन किया। प्रतियोगिता, और महोत्सव’ । 11-12 अक्टूबर, 2023 को आयोजित कार्यशाला में 77 प्रतिभागीयो ने भाग लिया, जिनमें युवा, मास मीडिया के छात्र और गैर सरकारी संगठनों और अन्य सदस्य शामिल थे, जो मध्य प्रदेश, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के बीजापुर, बस्तर और दंतेवाड़ा जिले से भी थे ।

कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में  माइक हैंकी, अमेरिकी कौंसल जनरल, मुंबई, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, रायपुर के कुलपति प्रो. (डॉ.) पीयूष कांत पांडे;  रॉब एंडरसन, सांस्कृतिक संयोजक, अमेरिकी कौंसल जनरल, मुंबई, सुश्री अलमित्रा कीका, लोक नीति विशेषज्ञ, अमेरिकी कौंसल जनरल, मुंबई; और सीएमएस वतावरन के उप निदेशक श्री सब्येसाची भारती थे ।

माइक हैंकी, अमेरिकी कौंसल जनरल, मुंबई ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा, “कलात्मक अभिव्यक्ति और पर्यावरण जागरूकता के समर्थन में यह कार्यशाला युवाओं को पर्यावरणीय संदेशों के साथ रचनात्मकता को मिश्रित करने के लिए सशक्त बनाती है। इससे संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की हमारी प्रतिबद्धता रेखांकित होती है।”

प्रोफेसर (डॉ.) पीयूष कांत पांडे, कुलपति, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, रायपुर ने कहा, “हम सभी इस पहल का हिस्सा बनकर बेहद उत्साहित हैं , सोशल इम्पैक्ट फिल्म निर्माण कार्यशाला में रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए हम अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर रहे हैं। हमारे छात्रों में नवाचार, और पर्यावरणीय बोध जागृत करने का यह प्रयास सराहनीय है, विज़ुअल स्टोरी टेलिंग के जरिये हमारा लक्ष्य सकारात्मक बदलाव के लिए लोगों को प्रेरित करना है।”

सब्येसाची भारती, उप. निदेशक, सीएमएस वतावरन ने अपने स्वागत भाषण में, उभरते फिल्म निर्माताओं को प्रभावशाली पर्यावरणीय कथाएँ बनाने के लिए सशक्त बनाने में कार्यशाला के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘फिल्म निर्माण एक शक्तिशाली उपकरण है जो बदलाव को प्रेरित कर सकता है। इस कार्यशाला के माध्यम से, हमारा लक्ष्य कहानीकारों की अगली पीढ़ी को तैयार करना है जो हमारे पर्यावरण और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकें।’

सब्येसाची भारती, उप. निदेशक, सीएमएस वतावरन ने अपने स्वागत भाषण में, उभरते फिल्म निर्माताओं को प्रभावशाली पर्यावरणीय स्टोरी बनाने के लिए कार्यशाला के महत्व पर जोर देते हुए कहा, ‘फिल्म निर्माण एक शक्तिशाली प्रक्रिया है जो बदलाव को प्रेरित करता है। इस कार्यशाला के माध्यम से, हमारा लक्ष्य कहानीकारों की अगली पीढ़ी को तैयार करना है जो हमारे पर्यावरण और समाज पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकें।’

रॉब एंडरसन, सांस्कृतिक संयोजक, अमेरिकी कौंसल जनरल, मुंबई ने कहा, “कहानी कहने की कला सीमाओं और भाषाओं से परे है; यह एक सार्वभौमिक भाषा है जिसमें परिवर्तन को प्रज्वलित करने की शक्ति है। यह कार्यशाला, रचनात्मक कहानी कहने को बढ़ावा देती है। प्रत्येक फिल्म में पर्यावरण की वकालत करने और दर्शकों को कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करने की क्षमता है।”

अलमित्रा कीका, लोक नीति विशेषज्ञ, अमेरिकी कौंसल जनरल, मुंबई ने कहा “पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने में आपसी सहयोग आवश्यक है। ज्ञान की साझेदारी और सामूहिक दृढ़ संकल्प के माध्यम से, हम एक स्थायी भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति कर सकते हैं।”

कार्यशाला में देश के अग्रणी मोजो शिक्षकों में से एक के रूप में पहचाने जाने वाले  रितेश ताकसांडे रिसोर्स पर्सन थे, जो वर्तमान में फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे द्वारा SKIFT पहल में फिल्म ओरिएंटेशन पाठ्यक्रम और मोबाइल पत्रकारिता पाठ्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम निदेशक के रूप में कार्यरत हैं। कार्यशाला में पांच तकनीकी सत्र शामिल थे, जिनमें मोजो फिल्म प्रोडक्शन के बुनियादी सिद्धांत, ग्रीन फ्रेम्स फिल्म प्रोडक्शन, फिल्म शूटिंग, फिल्म संपादन और फिल्म सबमिशन और प्रस्तुति शामिल था।

एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन के विभागाध्यक्ष और कार्यशाला के संयोजक डॉ. के.एन. किशोर ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। एमिटी स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन के सहायक प्राध्यापक बिचित्रानंद पंडा ने कार्यशाला के समन्वयक और आयोजन सचिव के रूप में कार्य किया। उप प्रो कुलपति (अकादमिक) प्रो. (डॉ.) सुमिता दवे, उप प्रो कुलपति (प्रशासन) प्रो. (डॉ.) सुरेंद्र रहमतकर, कुलसचिव डॉ. सुरेश ध्यानी, डीन, निदेशकों, संस्थानों के प्रमुखों, शिक्षकों और स्टाफ सदस्यों इस कार्यशाला में उपस्थित थे।

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