सरगुजा में दांव पर लगी DY CM सिंहदेव की प्रतिष्ठा,आखिर सरगुजा का सियासी समीकरण बिगाड़ने में महाराज की क्या होगी भूमिका…..!
रायपुर । छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण के चुनाव में अब महज 3 दिन का वक्त बचा हुआ है। ऐसे प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों की बात कर तो उनमें पाटन के बाद सबसे महत्वपूर्ण अंबिकापुर विधानसभा की सीट है। इस सीट से तीन बार के विधायक और मौजूदा डिप्टी सीएम टी.एस.सिंहदेव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। आपको बता दे कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में टी.एस.सिंहदेव की अगुवाई में ही सरगुजा संभाग की सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए बीजेपी को क्लिन स्वीप कर दिया था। लेकिन मौजूदा चुनाव में सरगुजा का सियासी समीकरण काफी बदला है। ऐसे में एक तरफ जहां डिप्टी सीएम सिंहदेव को बीजेपी के राजेश अग्रवाल कड़ी टक्कर दे रहे है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस से बागी होकर बीजेपी में शामिल हुए चिंतामणी महाराज ने सरगुजा की सियासत में कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है।
छत्तीसगढ़ में पहले चरण के चुनाव के बाद बीजेपी और कांग्रेस लगातार 20 विधानसभा सीटों पर अपनी बढ़त का दावा कर रही है। इन सारे दावों के साथ ही अब राजनीतिक पार्टियां दूसरे चरण के चुनाव के लिए ऐढ़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है। दूसरे चरण के हाई प्रोफाइल सीटों की बात करे तो इस बार दुर्ग संभाग का पाटन और फिर सबसे महत्वपूर्ण सीट अंबिकापुर विधानसभा है। पाटन से खुद सीएम बघेल चुनावी रण में है, तो वही अंबिकापुर से डिप्टी सीएम सिंहदेव चुनाव लड़ रहे है। मौजूदा वक्त में सरगुजा संभाग की 14 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। ऐसे में राजघराने से आने वाले तीन बार के विधायक और मौजूदा डिप्टी सीएम सिंहदेव की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।
सरगुजा के सियासी समीकरण को समझे तो यहां कांग्रेस की हार-जीत में राजघराने की अहम भूमिका रहती है। ऐसे में कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने के लिए बीजेपी ने काफी मंथन के बाद प्रत्याशियों को चुनावी मैदान में उतारा है। सिंहदेव के खिलाफ बीजेपी ने अंबिकापुर सीट से राजेश अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है। बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल पहले कांग्रेस में ही थे और डिप्टी सीएम सिंहदेव के काफी करीबी माने जाते थे। लखनपुर क्षेत्र के रहने वाले हैं राजेश लखनपुर नगर पंचायत के अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। ऐसे में बीजेपी ने राजेश अग्रवाल को अपना कैंडिडेट बनाकर डिप्टी सीएम की मुश्किले बढ़ा दी है।
ग्राउंड रिपोर्ट की माने तो अंबिकापुर का ग्रामीण इलाका जिसे सिंहदेव का वोट बैंक माना जाता है, उस क्षेत्र में नगर पंचायत अध्यक्ष रहते हुए राजेश अग्रवाल ने अपनी पकड़ काफी मजबूत बना रखी है। यहीं वजह है कि ग्रामीण क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखने वाले राजेश अग्रवाल को बीजेपी ने इस बार अपना कैंडिडेट बनाया है।। ऐसे में ग्रामीण बेल्ट के वोट बैंक में सेंध लगने से डिप्टी सीएम को नुकसान होने की उम्मींद है। सरगुजा संभाग की इस हाई प्रोफाइल सीट पर डिप्टी सीएम सिंहदेव और बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। एक तरफ जहां डिप्टी सीएम सिंहदेव के सामने लगातार चौथी बार विधायक बनने की चुनौती है। वहीं बीजेपी प्रत्याशी राजेश अग्रवाल के सामने डिप्टी सीएम को हराने की अग्निपरीक्षा है।
चिंतामणी ने बढ़ाई महाराज की चिंता…..!
अंबिकापुर विधानसभा से जहां एक तरफ बीजेपी कैंडिडेट राजेश अग्रवाल डिप्टी सीएम को कड़ी टक्कर दे रहे है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के बागी विधायक चिंतामणी महाराज ने भी सिंहदेव की चिंता बढ़ा दी है। कांग्रेस से टिकट कटने से नाराज विधायक चिंतामणी महाराज ने बीजेपी का दामन थाम लिया था। जिसके बाद से ही सरगुजा की सियासत में हलचल तेज हो गयी है। चुनाव से ठीक पहले चिंतामणी महाराज को साधकर बीजेपी खुद को सरगुजा संभग में मजबूत करने की बात कहती है। सियासी जानकारों की माने तो चिंतामणी महाराज छत्तीसगढ़ के संत गहिरा गुरु के बेटे हैं। सरगुजा संभाग में संत समाज के अनुयायी अंबिकापुर, लुंड्रा, सामरी, पत्थलगांव,जशपुर, कुनकुरी विधानसभा क्षेत्रों में हैं।
प्रदेश भर में उनके समाज के बड़ी संख्या में अनुयायी हैं। ऐसे में बीजेपी में चिंतामणी के वापसी से सरगुजा संभाग की 6 सीटों पर इसका सीधा असर होने की उम्मींद जतायी जा रही है। यहीं वजह है कि चिंतामणी महाराज ने पहले बीजेपी के सामने अंबिकापुर से टिकट देने की शर्त रखी थी। लेकिन बीजेपी ने इस सीट से राजेश अग्रवाल को उतारकर चिंतामणी महराज को लोकसभा में प्रत्याशी बनाने की बात पर भरोस में ले लिया। ऐसे में चिंतामणी महाराज के बीजेपी में जाने से ना केवल अंबिकापुर विधानसभा सीट पर डिप्टी सीएम सिंहदेव की मुश्किले बढ़ी है, बल्कि सरगुजा संभाग की 6 से 7 सीटों पर कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने की बात कही जा रही है।
खैर दूसरे चरण के चुनाव में अभी 3 दिन का वक्त शेष है। ऐसे में अब ये देखने वाली बात होगी कि सरगुजा संभाग में अहम भूमिका निभाने वाले डिप्टी सीएम सिंहदेव क्या एक बार फिर इस क्षेत्र से कांग्रेस को ऐतिहासिक बढ़त दिला पाते है ? या फिर कांग्रेस के इस गढ़ में बीजेपी का कमल खिलता है ? ये सवाल इसलिए भी लाजमी है क्योंकि सरगुजा संभाग से आने वाले सिंहदेव को भावी मुख्यमंत्री के प्रबल दावेदार के रूप में भी देखा जा रहा है। यहीं वहज है कि पाटन के बाद पूरे प्रदेश की नजर सरगुजा की अंबिकापुर विधानसभा सीट पर टिकी हुई है। ऐसे में कौन जीतता है और किसके कारण किसको हार का सामना करना पड़ता है, ये तो आने वाले 3 दिसंबर को ही स्पष्ट हो पायेगा। लेकिन तब तक प्रदेश के इन हाई प्रोफाइल सीटों पर पल-पल में बदलती सियासी समीकरणों को लेकर चर्चाओं का दौर लगातार जारी है।