छत्तीसगढ़

23 साल बाद इस बार मई-जून में नहीं गूंजेगी शहनाई, चार सौ करोड़ का कारोबार होगा प्रभावित

रायपुर : अक्षय तृतीया के बाद आमतौर पर शादियों का मुहूर्त प्रारंभ हो जाता है और मई तथा जून में थोक में शादियां होती हैं, लेकिन 23 साल बाद ऐसा हो रहा है कि इस बार मई और जून में शादियों का कोई भी मुहूर्त अक्षय तृतीया के बाद नहीं है। दो माह बाद जुलाई में करीब आधा दर्जन मुहूर्त हैं। दो माह शादियां न होने के कारण होटल, मैरिज हॉल, कैटरिंग, टेंट, सराफा, कपड़ा, बर्तन और इलेक्ट्रानिक्स को मिलाकर करीब चार सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हो जाएगा।

इस समय बाजार में भारी सन्नाटा है, कहीं भी शादियों की खरीदारी नहीं हो रही है। अन्यथा अक्षय तृतीया के पहले बाजार में भारी भीड़ हो जाती है। इस साल जनवरी से लेकर अप्रैल तक चार माह तक शादियों के थोक में मुहूर्त रहे हैं। इसमें तो कारोबारियों की जमकर कमाई हुई है, लेकिन अब अक्षय तृतीया के बाद मुहूर्त न होने के कारण बाजार में खरीदारी नहीं हो रही है। शादियों से जुड़े हर सेक्टर के कारोबारियों में इस बात को लेकर निराशा है कि इस बार उनकी कमाई मारी जाएगी।

होटल, मैरिज हॉल सब खाली

राजधानी में 50 से ज्यादा बड़े होटल और मैरिज हॉल हैं। इसमें करीब चार हजार कमरे हैं। इनमें से ज्यादातर शादियों के के मुहूर्त के दिनों के लिए बुक हो जाते हैं। लेकिन इस बार मई और जून में मुहुर्त न होने के कारण सभी खाली हैं। इसी के साथ कैटरिंग, टेट, धुमाल, बैंड पार्टी वाले भी खाली हैं। टेंट और कैटरिंग के कारोबारी जसपाल सिंह होरा के मुताबिक होटल, मैरिज हाल, कैटरिंग, टेंट को मिलाकर कम से कम डेढ़ सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हो जाएगा।

बाजार में सन्नाटा

मुहूर्त न होने के कारण बाजार में भी सन्नाटा पसरा हुआ है। पंडरी थोक कपड़ा बाजार के चंदर विदानी के मुताबिक यही तो सीजन रहता है जिसमें मध्यम वर्ग शादियों के लिए जमकर खरीदारी करते हैं। अप्रैल से लेकर जून तक कारोबारियों को सांस लेने की फुर्सत नहीं होती है, लेकिन इस बार बाजार में पूरी तरह से सन्नाटा है। विदानी के मुताबिक दो माह में डेढ़ सौ करोड़ से ज्यादा का कारोबार प्रभावित हो जाएगा। इसी तरह से सराफा बाजार,बर्तन दुकानों और इलेक्ट्रानिक्स दुकानों में सन्नाटा है।

शादियों की कहीं कोई खरीदारी नहीं हो रही है। इनका भी करीब सौ करोड़ का कारोबार प्रभावित हो जाएगा। सराफा कारोबारी हरख मालू के मुताबिक सामान्य तौर पर जो खरीदारी होती है, वह तो चल रही है, लेकिन शादियों की खरीदारी नहीं हो रही है।

 

 

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