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साइनस की समस्या से परेशान लोगों के लिए बहुत फायदेमंद हैं ये इलाज, नहीं पड़ेगी चीरा या सर्जरी की जरूरत…

नई दिल्लीसाइनसाइटिस वैसे तो एक आम समस्या है लेकिन यह पीड़ित में ना सिर्फ असहजता का कारण बन सकती हैं वहीं कई बार कुछ अन्य परेशानियों का कारण भी बन सकती हैं. साइनसाइटिस के इलाज में दवाओं व कुछ सावधानियों के अलावा कई बार कुछ प्रक्रियाएं भी मददगार हो सकती हैं , जिसमें से एक क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट भी है.

साइनसाइटिस में मददगार हो सकती है क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी प्रक्रिया: साइनसाइटिस एक आम स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें साइनस यानी नाक के अंदर की खोखली जगहों में सूजन आ जाती है. यह सूजन अक्सर इंफेक्शन, एलर्जी या किसी अन्य कारण से होती है. यह समस्या व्यक्ति में सांस लेने में कठिनाई, सिरदर्द, और चेहरे पर भारीपन जैसे लक्षणों को जन्म देती है.

साइनसाइटिस में राहत के लिए दवाओं के साथ कुछ चिकित्सकीय प्रक्रियाएं भी मददगार हो सकती हैं, जिनमें से एक है क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी.

साइनसाइटिस के कारण,लक्षण और प्रभाव: ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. हरविंदर सिंह कौर बताती हैं कि साइनसाइटिस के लिए मुख्य रूप से बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण जिम्मेदार होते हैं. इसके अलावा अलग-अलग प्रकार की एलर्जी, नाक में किसी प्रकार का अवरोध, या बार-बार सर्दी-जुकाम भी साइनसाइटिस का कारण बन सकते हैं.

वह बताती हैं कि साइनसाइटिस का असर व्यक्ति के दैनिक जीवन पर भी काफी ज्यादा पड़ता है. वहीं लंबे समय तक इस समस्या को अनदेखा करने पर यह समस्या क्रॉनिक साइनसाइटिस का रूप भी ले सकती है, जिसके लिए सर्जरी करवाने की स्थिति भी आ सकती है.

साइनसाइटिस के मुख्य लक्षणों में से कुछ इस प्रकार हैं.

  • सिरदर्द और माथे में भारीपन
  • नाक बंद होना या बहना
  • गंध पहचानने में कमी
  • चेहरे पर दर्द या दबाव
  • बार-बार खांसी या गले में खराश आदि.
  • क्या है क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी

डॉ हरविंदर सिंह कौर बताती हैं कि क्रायो रेडियो फ्रीक्वेंसी ट्रीटमेंट नाक के अंदरूनी हिस्सों को सुधारने और साइनसाइटिस से राहत प्रदान करने के लिए उपयोग की जाती है. इसमें ठंडी रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा का उपयोग किया जाता है, जो सूजन और ब्लॉकेज को कम करती है. इस प्रक्रिया में एक छोटे उपकरण की मदद से नाक के अंदर रेडियो फ्रीक्वेंसी ऊर्जा भेजी जाती है. यह ऊर्जा प्रभावित टिशू को ठंडक प्रदान कर सूजन और संक्रमण को कम करती है.

फायदे तथा सावधानियां: वह बताती हैं यह एक एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, यानी इसमें कोई बड़ा चीरा या सर्जरी की जरूरत नहीं होती है. वहीं इसमें रिकवरी समय बहुत कम होता है, दर्द या तकलीफ कम होती है साथ ही एक बार इसे करवाने के बाद पीड़ित को लंबे समय तक राहत मिल सकती है. हालांकि यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है जो पीड़ित को लंबे समय तक राहत प्रदान कर सकती है. लेकिन जरूरी नहीं है कि यह साइनसाइटिस के सभी पीड़ितों के लिए यह प्रक्रिया उपयुक्त हो. कुछ विशेष अवस्थाओं में चिकित्सक इसे करवाने से मना भी कर सकते हैं.

डॉ हरविंदर सिंह कौर बताती हैं कि साइनसाइटिस के संकेतों को समझना तथा समस्या को अनदेखा करने की बजाय सही समय पर इलाज व अन्य सावधानियों को अपनाना बेहद जरूरी है.

साइनसाइटिस के इलाज के लिए चिकित्सक एंटीबायोटिक या एंटी-हिस्टामिन दवाएं तथा नेजल स्प्रे या स्टीम थेरेपी आदि की सलाह देते हैं. लेकिन इनके अलावा भी कुछ सावधानियां है जिन्हे अपनाने से साइनसाइटिस से बचाव व उसका प्रबंधन संभव हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार है.

अपनी एलर्जी को समझे तथा ऐसे लोग जिन्हे मौसम, सूर्य की किरणों, धूल मिट्टी, फफूंद या नमी आदि से हो वे एलर्जी से बचाव तथा प्रदूषण से दूर रहने का प्रयास करें.

लंबे समय तक सर्दी-जुकाम बने रहने या जल्दी-जल्दी सर्दी जुकाम होने को अनदेखा ना करें, और चिकित्सक से जांच व इलाज करवाएं.

हाइड्रेटेड रहें और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए सही आहार व व्यायाम आदि को अपनाएं.

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