छत्तीसगढ़दुर्ग

9 माह के मासूम का अपहरण कर बिहार में बेचा, बड़े होने के बाद करवाने वाले थे ऐसा काम, रिश्तेदार समेत 5 गिरफ्तार…

9 माह के मासूम का अपहरण कर बिहार में बेचा, बड़े होने के बाद करवाने वाले थे ऐसा काम, रिश्तेदार समेत 5 गिरफ्तार…

दुर्ग। पुलिस ने एक बेहद संवेदनशील और गंभीर मामले में त्वरित एवं सटीक कार्रवाई करते हुए 9 माह के मासूम बच्चे के अपहरण की गुत्थी सुलझा ली है। इस मामले में पुलिस ने पटना, बिहार से चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जबकि एक महिला आरोपी को पहले ही बस्तर के कोण्डागांव से गिरफ्तार कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा जा चुका है। एएसपी पद्मश्री तंवर ने बताया कि बच्चे को भिक्षावृत्ति कराने 7 लाख में बेचा गया था। और यह सभी आरोपी एक गिरोह के रूप में काम कर रहे थे।

एएसपी सुखनंदन राठौर और एएसपी पद्मश्री तंवर ने बताया कि पीड़िता को उसकी रिश्तेदार संगनी बाई और संतोष पाल ने बहला-फुसलाकर 20 जून 2025 को दुर्ग से जिला कोण्डागांव बुलाया। इसके बाद वह अपने 8 माह 25 दिन के बेटे के साथ आरोपी के साथ पटना, बिहार के जगनपुरा स्थित एक किराए के मकान में पहुंची। वहां कुछ दिन रहने के बाद पीड़िता ने घर लौटने की बात कही तो आरोपियो ने बहाना बनाया, लेकिन उसकी जिद के चलते 8 जुलाई 2025 को उसे छत्तीसगढ़ लौटने के लिए आरा रेलवे स्टेशन से पटना लाया गया। यात्रा के दौरान, दानापुर रेलवे स्टेशन पर संगनी बाई और संतोष पाल ने खाने का सामान लाने का बहाना किया और मौके का फायदा उठाकर बच्चे को लेकर ट्रेन से उतर गए। घटना से घबराई पीड़िता ट्रेन छूटने और अनजान जगह पर होने के कारण किसी को कुछ न बताई औऱ दुर्ग लौटी और अपने परिवार के साथ महिला थाने पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई। जिसके बाद पूरे मामले के तमाम सबूतों को देखने के बाद पुलिस ने अपहरण का प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की।

पुलिस ने आरोपियों की लोकेशन ट्रेस करने के लिए मोबाइल सर्विलांस का सहारा लिया। साथ ही 2 टास्क टीम बनाई। पहली टीम ने कोण्डागांव से मुख्य महिला आरोपी संगनी बाई को गिरफ्तार किया। दूसरी टीम को पटना, बिहार भेजा गया। पटना में सघन खोजबीन के बाद आरा से मुख्य आरोपी संतोष पाल को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद आरोपी प्रदीप कुमार और गौरी महतो को भी दबोच लिया गया। जांच में खुलासा हुआ कि मुख्य आरोपी संतोष पाल ने मासूम बच्चे को 7 लाख रुपए में गौरी महतो को बेच दिया था । इसमें से 4 लाख रुपए उसने खुद रखे और 3 लाख रुपए प्रदीप एवं बादल को दे दिए। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने अपहृत बच्चे को भी सुरक्षित बरामद कर मां के सुपुर्द किया। एएसपी तंवर ने बताया कि यह गिरोह बच्चों का अपहरण कर उन्हें भीख मंगवाने जैसे अवैध कार्यों में इस्तेमाल करता था । पुलिस की तत्परता, तकनीकी सहायता और टीमवर्क के चलते बच्चे को समय रहते बचा लिया गया। जिससे एक बड़ी अनहोनी टल गई।

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