
‘अब राजनीति नहीं’, रायपुर शहर अध्यक्ष पद नहीं मिला, जिलाध्यक्ष की नियुक्ति से पहले ही कर दिया बड़ा ऐलान…
रायपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की कवायद के बीच बड़ी खबर निकलकर सामने आयी है। आरडीए के पूर्व उपाध्यक्ष और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शिव सिंह ठाकुर ने कांग्रेस से दूरी बनाने का ऐलान कर दिया है।
पूरा समय कांग्रेस को देता था नहीं दे पाऊंगा
शिव सिंह ठाकुर ने सोशल मीडिया के जरिए दी जानकारी में कहा है कि रायपुर शहर अध्यक्ष के लिए आवेदन दिया है लेकिन निराशा हाथ लगी, सपोर्ट नहीं मिला, अब वापस इंजीनियरिंग के पेशे में लौटूंगा। जो पूरा समय कांग्रेस को देता था नहीं दे पाऊंगा।
बता दें कि शिव ठाकुर रायपुर शहर जिला अध्यक्ष के दावेदार हैं। हालाकि अभी दावेदारों में से किसी के नाम का ऐलान पार्टी की तरफ से नहीं किया गया है, लेकिन इसके पहले ही शिव सिंह ठाकुर का यह तल्ख अंदाज यह बताने के लिए काफी है कि फैसला उनके पक्ष में नहीं आने वाला है।
पेंड्रा में भी कांग्रेस संगठन चुनाव को लेकर माहौल गर्म
इधर पेंड्रा में आज जिला कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में सोमवार को माहौल खासा गरमाया रहा। पर्यवेक्षक के तौर पर पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने घोषणा की कि अब जिले में भी ‘जिला पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी’ का गठन किया जाएगा, जो अब तक केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही बनाई जाती थी। यह कमिटी राज्य और जिले के मामलों पर तुरंत फैसला ले सकेगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में कोई मनमुटाव नहीं है और सरकार की सफलता के लिए आगामी दो साल तक संगठन स्तर पर लगातार संघर्ष और मजबूती के साथ काम किया जाएगा। इधर, चुनाव प्रक्रिया के दौरान कई दावेदारों ने नामांकन फॉर्म नहीं लिए जाने का आरोप लगाते हुए मंच पर ही विरोध दर्ज कराया। पर्यवेक्षक सुबोध कांत सहाय ने सभी नेताओं को समझाइश दी और विवाद शांत करवाया।
पूरे घटनाक्रम के दौरान विधायक अटल श्रीवास्तव, फूलोदेवी नेताम और अशोक आहूजा भी मौजूद रहे। अब तक के दावेदारों में गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अब तक निम्न नाम सामने आए हैं— मनोज गुप्ता, उत्तम वासुदेव, पंकज तिवारी, जुबेर अहमद गाटर, पुष्पराज सिंह, अमोल पाठक, आलोक शुक्ला, हर्ष गोयल, वीरेंद्र बघेल, भावना करेलिया, ममता पैकरा, मदन सोनी, बुंदकुंवर मास्को, अशोक शर्मा, गजमती भानु, रीता तंवर और पूर्व पार्षद रमेश साहू शामिल हैं। पर्यवेक्षक सुबोध कांत सहाय ने स्पष्ट किया कि पार्टी की आंतरिक एकता बनाए रखते हुए सभी विवादों का समाधान संगठन स्तर पर ही कर लिया जाएगा