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Liver Damage: लिवर के लिए शराब से भी ज्यादा हानिकारक हो सकते हैं ये ड्रिंक्स…

नई दिल्ली। लिवर शरीर का एक महत्वपूर्ण ऑर्गन है जो शरीर में विषाक्त पदार्थों को छानने, डाइजेशन में मदद करने समेत कई काम करता है. इसके साथ ही पोषक तत्वों को चयापचय करने में लिवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह एक ऐसा अंग है जो बिना थके काम करता है और अपना काम पूरा करने के लिए कोई ब्रेक नहीं लेता. यह वजन कम करने और आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है. इसके साथ ही यह विभिन्न पोषक तत्वों और दवाओं को संतुलित रखता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में लिवर का स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है. हालांकि, कुछ पेय पदार्थ शराब से भी ज्यादा लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. खास तौर पर, हाई शुगर वाले पेय पदार्थ और कुछ खास तरह के ड्रिंक्स जैसे सॉफ्ट ड्रिंक और फलों के जूस लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. खबर के जरिए जानिए शराब से भी ज्यादा लिवर को कौन से ड्रिंक्स नुकसान पहुंचाते हैं…

मीठे कोल्ड ड्रिंक्स (सोडा)

कैनेडियन जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कोल्ड ड्रिंक्स के नियमित सेवन से लिवर में फैट का जमाव हो सकता है, जिसे नॉन-बीडीआर फार्मास्यूटिकल्स के तकनीकी निदेशक डॉ. अरविंद बैडिगर के अनुसार, नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) एक ऐसी स्थिति अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) के रूप में जाना जाता है, जिसमें लिवर में फैट जमा हो जाता है, जिससे लिवर कार्य बाधित होता है और सूजन बढ़ने लगता है. सोडा में मौजूद हाई शुगर कंटेंट और आर्टिफिशियल एडिटिव्स लिवर पर दबाव डालते हैं, जिसके कारण लिवर पर फैट जमा होने लगता है और समय के साथ यह गंभीर लिवर डिजीज का कारण बन सकता है.

इनमें कोला या फलों के स्वाद वाले सोडा जैसे लोकप्रिय कार्बोनेटेड ड्रिंक्स शामिल हैं. इनमें फ्रुक्टोज या हाई-फ्रक्टोज कॉर्न सिरप की काफी मात्रा पाई जाती है, जो लिवर पर अतिरिक्त भार डालती है और नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर रोग (NAFLD) में योगदान देती है. समय के साथ, यह सूजन, निशान (फाइब्रोसिस) और यहां तक ​​कि सिरोसिस का कारण बन सकता है.

एनर्जी ड्रिंक
यू.एस. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन के एक अध्ययन के अनुसार, एनर्जी ड्रिंक्स का अत्यधिक सेवन लिवर को नुकसान पहुंचाता है. इन ड्रिंक्स में मौजूद टॉरिन, कैफीन और अन्य उत्तेजक पदार्थों की उच्च मात्रा को तोड़ने के लिए लिवर को अतिरिक्त मेहनत करनी पड़ती है. इस एनर्जी ड्रिंक अत्यधिक सेवन से कुछ मामलों में लिवर फेल हो सकता है, यहां तक ​​कि कुछ व्यक्तियों को तत्काल लिवर ट्रांसप्लांट की भी आवश्यकता पड़ सकती है.

स्वीट आइस्ड टी और पैकेज्ड ड्रिंक्स
ये ड्रिंक्स सोडा से ज्यादा सेहतमंद लगते हैं, लेकिन अक्सर इनमें एक्स्ट्रा शुगर और प्रिजर्वेटिव होते हैं. स्टोर से खरीदे गए फलों के जूस और चाय में साबुत फलों के फाइबर की कमी होती है और इससे ब्लड शुगर लेवल में उछाल आ सकता है और लिवर में फैट का निर्माण हो सकता है. समय के साथ, यह फैटी लिवर रोग और इंसुलिन प्रतिरोध में योगदान देता है. हेल्दी खाने की कोशिश करने वाले लोग अनजाने में इनका सेवन करके अपने लिवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

फ्लेवर्ड मिल्क और मिल्कशेक
चॉकलेट मिल्क, स्ट्रॉबेरी मिल्क या क्रीमी मिल्कशेक जैसे पेय पदार्थों में सैचुरेटेड फैट, चीनी और आर्टिफिशियल एडिटिव्स की मात्रा अधिक होती है. यह संयोजन लिवर में फैट के जमाव को बढ़ाता है और सूजन वाली लिवर की स्थिति को ट्रिगर कर सकता है. बच्चे और किशोर विशेष रूप से इन पेय पदार्थों की ओर आकर्षित होते हैं, जो उन्हें आम लेकिन जोखिम भरा विकल्प बनाते हैं.

पैकेज्ड कॉफी या ड्रिंक्स
ताजी पी गई ब्लैक कॉफी (जो वास्तव में लिवर के स्वास्थ्य का समर्थन कर सकती है) के विपरीत, पहले से पैक किए गए कॉफी ड्रिंक्स में अक्सर ज्यादा चीनी, क्रीमर औ केमिकल योजक होते हैं. ये लिवर को अनावश्यक वसा और शर्करा से भर देते हैं, जिससे लिवर में वसा का निर्माण और इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा मिलता है. ये सुविधाजनक पेय व्यस्त सुबह के लिए लोकप्रिय हैं, लेकिन नियमित सेवन से लिवर को नुकसान पहुंच सकता है.

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