छत्तीसगढ़सूरजपुर

महिला विधायक का चुनाव खतरे में! फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर जीता था चुनाव? आदिवासी समाज ने लगाया आरोप

महिला विधायक का चुनाव खतरे में! फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर जीता था चुनाव? आदिवासी समाज ने लगाया आरोप

सूरजपुर। प्रतापपुर विधानसभा की विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। आदिवासी समुदाय ने उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि विधायक ने फर्जी और कूटरचित जाति प्रमाणपत्र (MLA Caste Certificate) बनवाकर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। आरोपों के सार्वजनिक होने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।

आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को एक निजी होटल में प्रेस वार्ता आयोजित कर यह आरोप सार्वजनिक रूप से उठाए। प्रेस वार्ता को धन सिंह धुर्वे, मुन्ना सिंह और रामवृक्ष ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विधायक का जाति प्रमाणपत्र पति पक्ष से जारी कराया गया है, जबकि भारतीय कानून के अनुसार जाति प्रमाणपत्र केवल पिता पक्ष की जाति के आधार पर जारी किया जा सकता है। अतः पति के आधार पर प्राप्त जाति प्रमाणपत्र किसी भी स्थिति में वैध नहीं माना जा सकता।

समाज के प्रतिनिधियों ने बताया कि इस मामले में जिले के कलेक्टर बलरामपुर और सूरजपुर को लिखित शिकायत दी गई थी। जांच की मांग पर प्रशासन द्वारा किए गए प्रारंभिक परीक्षण में बताया गया कि संबंधित जाति प्रमाणपत्र जारी करने के लिए कोई भी वैध दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया गया था। यही नहीं, अंबिकापुर और बलरामपुर के अभिलेखागार में भी विधायक के जाति प्रमाणपत्र से जुड़े दस्तावेजों का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं पाया गया, जिससे इसकी प्रामाणिकता और अधिक संदिग्ध हो जाती है।

प्रेस वार्ता में बताया गया कि इस पूरे प्रकरण की सुनवाई हाईकोर्ट में भी हुई है, जहाँ जांच के आदेश दिए जा चुके हैं। इसके बावजूद, अब तक न तो जिला प्रशासन और न ही शासन स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई की गई है। समाज ने कहा कि यदि जल्द से जल्द निष्पक्ष जांच शुरू नहीं की गई और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई, तो आदिवासी समाज चरणबद्ध विरोध प्रदर्शन से लेकर उग्र आंदोलन तक की राह अपनाने के लिए विवश होगा।

समुदाय का यह भी कहना है कि यह मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि आदिवासी समाज की पहचान, अधिकार और आरक्षण व्यवस्था की पारदर्शिता से जुड़ा हुआ है। यदि कोई व्यक्ति फर्जी जाति प्रमाणपत्र के माध्यम से चुनाव लड़कर जनप्रतिनिधि बनता है, तो यह संविधान और सामाजिक न्याय की भावना के साथ धोखा है।

प्रेस वार्ता में शामिल वक्ताओं ने राज्य निर्वाचन आयोग, जिला प्रशासन और सरकार से मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जाए, ताकि आदिवासी समाज के साथ किसी भी प्रकार का अन्याय न हो।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button