प्रशासन एवं सहकारी समिति के लापरवाही के कारण कोसमंदी के 72 किसान हो गये डिफाल्टर
पलारी। प्रशासन एवं सहकारी समिति के लापरवाही के कारण कोसमंदी के 72 किसान डिफाल्टर हो गये, बिका हुआ धान को साफ्टवेयर में नहीं चढ़ा पाने के का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
अब उस धान को क्या करें समझ नहीं आ रहा है, मार्केट में अभी धान का कीमत 11सौ से 12 सौ के लगभग चल रहा है मतलब आधी कीमत में किसानों को बेचना पड़ेगा, जिससे उसकी लागत निकलना मुश्किल हो जायेगा।
क्या है पूरा मामला-
किसानों ने बताया कि सहकारी समिति कोसमंदी (पलारी विकास खंड) में पंजीकृत किसानों की धान जो नियम के तहत 29 तारीख की डेट में टोकन के अनुसार धान सुबह मंडी प्रांगण में पहुंच गए थे तथा तौल होकर बिक चुका है समिति और सरकार की नाकामी के चलते कंप्यूटर सॉफ्टवेयर 29 को ही बंद कराने के कारण लगभग 73 किसानों का लाखों का धान मंडी पर फंसा हुआ है किसान समिति और सरकार के नियम के अनुसार समय पर धान देकर भी सरकार और समिति के नियमानुसार कर्जा न फटने के कारणआज डिफाल्टर तथा लाखों के नुकसान में है। और इसी स्थिति में अभी गांव में कोतवाल के माध्यम से समिति और सरकार की नाकामी को छुपाने के लिए किसानों को अपने दानों को इतने दिन बाद मंडी में से वापस घर लाने के लिए बोला गया है या सरासर बेईमानी है उन किसानों के साथ उसके परिवार के साथ बहुत बड़ी गद्दारी है अतः किसानों के धान को राज्य सरकार समिति द्वारा खरीद कर उसे सॉफ्टवेयर में लोड कर किसानों को कर्ज मुक्त किया जाए और बाकी के बचत पैसे को किसानों को वापस किया जाए तथा सभी को अभी वर्तमान किसानी के लिए पुनः कर्ज दिया । और यह राज्य सरकार की नाकामी केवल कोसमंदी सोसाइटी बस की बात नहीं है अपितु पूरे जिले में यही नाकामी है किसान बेहाल है।
वहीं मंडी प्रभारी कौशल प्रसाद पटेल का कहना है कि 29 जनवरी को 74 किसान का टोकन कटा था, जिसमे 72 किसानों ने अपने धान लाये थे लेकिन मौसम खराब होने के कारण धान तौलाई नहीं हुआ उसके बाद तौलाई कि गयी, जिसकी सूचना संबंधित अधिकारियों को दी गई थी आश्वासन मिला था कि बाद में खुलेगा साफ्टवेयर तो उनको चढ़ा देंगे, लेकिन 1अप्रेल तक खुला नहीं जिसके कारण 6 अप्रेल को किसानों को धान ले जाने की मुनादी करवाई गयी है।