छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में अब गोबर पर राजनीति: भाजपा ने उठाया सवाल, कांग्रेस बोली-भ्रम फैला रहे भाजपाई

रायपुर। गोबर पर राजनीति: छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर गोबर का सवाल खड़ा हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने रासायनिक खाद के साथ वर्मी कंपोस्ट खरीदने पर सवाल उठाया। इस पर पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने यह कहकर पलटवार किया कि रमन को न खेती-किसानी की समझ है, न गोबर और वर्मी कंपोस्ट में अंतर समझ पा रहे हैं।

रमन सिंह ने प्रदेश में सहकारी समितियों में दो बोरी वर्मी खाद खरीदने की शर्त पर किसानों को यूरिया व डीएपी खाद देने पर एतराज जताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश सरकार ने गोबर खरीदी योजना को जरूरत से ज्यादा हाइलाइट किया और उसमें अपनी वाहवाही लूटने का प्रयास किया, उस सरकार का दो रुपये में गोबर खरीदकर अब उसे 10 रुपये प्रति किलो की दर पर किसानों को खरीदने के लिए बाध्य करना प्रदेश के किसानों के साथ खुला अन्याय है।

डा. सिंह ने कहा कि राजीव गांधी न्याय योजना की ढिंढोरा पिटने वाली प्रदेश सरकार किसानों के साथ कौन-सा न्याय कर रही है? कोई भी सरकार किसी भी चीज को खरीदने के लिए किसी को भी बाध्य नहीं कर सकती। यह खरीदार का ऐच्छिक अधिकार है। सरकार वर्मी खाद खरीदने को प्रेरित भले ही करे, लेकिन कर्ज में खाद लेने वाले किसानों को वर्मी खाद लेने के लिए बाध्य करना अनुचित है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की भी एक योजना चल रही है, जिसमें किसान अपने घर में ही गोबर से खाद बनाकर अपने खेतों में डाल सकता है। उसमें किसानों को दो रुपये का गोबर 10 रुपये में नहीं पड़ेगा। भाजपा ने शुरू में ही यह कहा था कि सरकार किसानों की एक जेब में नाममात्र के रुपये डालकर दूसरी जेब पर डाका डालने का काम करेगी।

पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष धनेंद्र साहू ने भाजपा पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि रमन सिंह को खेती किसानी, गांव, गरीबों की समझ ही नहीं है। वे गोबर और वर्मी कंपोस्ट में अंतर ही नहीं समझ पा रहे हैं। देश में सबसे अच्छा वर्मी कंपोस्ट किसानों को छत्तीसगढ़ में दिया जा रहा है। रमन का बयान गोपालक, गोठान समूह में कार्यरत किसान, मजदूर और महिला स्व-सहायता समूहों की मेहनत का अपमान है।

रमन सिंह को न कभी गांव, गरीबों, मजदूरों, किसानों, गोपालकों की चिंता रही है, न ही वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति, छत्तीसगढ़ की परंपरा, रीति-रिवाज और खेती किसानी को समझते हैं। उनको तो यह भी नहीं पता कि गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनता कैसे हैं? वर्मी कंपोस्ट बनाने की प्रक्रिया क्या है?

गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनने में क्या-क्या बदलाव होते हैं? यह वर्मी कंपोस्ट खेतों में जाकर क्या काम करता है? अगर रमन में यह समझ होती, तो वे वर्मी कंपोस्ट के खिलाफ ऐसा गलत एवं तथ्यहीन बयान जारी नहीं करते। यदि छत्तीसगढ़ आर्गेनिक खेती की ओर बढ़ रहा है, तो भाजपा और रमन को तकलीफ क्यों हो रही है?

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button