महासमुंद

किशनपुर का शिव लिंग बना कौतुहल का विषय, हर दिन हजारों लोगों की हो रही है मनोकामना पूर्ण 

महासमुन्द

रवि कुमार तिवारी

महासमुन्द जिले के पिथौरा ब्लॉक के किशनपुर गाँव जो महज 15 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है वर्तमान मे अपने प्रसिद्धि की गाथा लिखने को तैयार है जहा एकाएक ही लाखो लोगो की भीड़ जमा होने लगी है और सनातन धर्मीयों के आस्था का केंद्र बन रही है नित्य लोग हजारों किलोमीटर की यात्रा से यहां अपनी आस्था श्रद्धा और विश्वास लिए आ रहे है आज किशनपुर किसी पर्यटन स्थल से कम नहीं रहा कारण देवो के देव महादेव की इस निर्जन स्थान पर एकाएक ही आगमन है जो विरल स्थान पर एक अद्भुत लिंग के रूप मे अवतरित एक स्वयंभु शिव लिंग है, जो महज अपने सैकड़े दिन का सफर तय कर रहा है स्थानीय लोगो के अनुसार यह हमारे छत्तीसगढ़ी त्यौहार तीज के पर्व के दिन एक किसान के खेत मे महुवा पेड़ के निचे एक स्वयंभु शिव लिंग के रूप मे उदगम हुवा और देखते देखते गाँव तथा आस पास के लोग जुटने लगे और सुरु हुवा इनके प्रख्यात होने का दौर जो वर्तमान मे अपने चरम पर है आज आरंग, तिल्दा, रायपुर, खरोरा, बलौदा, सिमगा, भाठापारा, उड़ीसा,तथा महासमुन्द के समस्त क्षेत्र से प्रतिदिन हजारों की सख्या मे श्रद्धालू जन आ रहे है तथा ग्रामीण क्षेत्र मे पर्यटन की तरह समूह मे लोग निरंतर दर्शन हेतु जा रहे है स्थानीय जनप्रतिनिधि विधायक मंत्री भी यहां अपनी उपस्थिति प्रदान कर चुके है अब यह स्थान किसी प्रचार का मोहताज नहीं रहा स्थानीय जन आस पास दूकान लगारहे है जहा चाय नास्ता की व्यवस्था के साथ पूजन सामग्री का विक्रय कर अपनी रोजी रोटी मे जूटे है, यह निर्जन स्थान दिन भर किसी मेले से कम नहीं रहता यहां लोगो की अचानक उपस्थिति का मुख्य कारण भोलेनाथ पर अटूट श्रद्धा विश्वास और यहां की मान्यता है की इनके दर्शन और जगह के मिट्टी, जलाधारी का जलसे अनेक असाध्य रोग मे शिव जी की कृपा से अविश्वासनीय लाभ हो रहा है और मन को एक विस्तृत शांति का अनुभव भी जो इस भागदौड़ की दुनिया मे सबसे महती वस्तु है

 

आज  प्रदीप शास्त्री जी की शिव कथा पुरे भारत मे अपनी लोहा मनवा रही है, वही यह घटना भी शिव प्रेमियों के लिए एक वरदान है हम कामना करते है की किशनगढ़ मे विराजित आराध्य श्री लिंगेश्वर नाथ भगवान् शिव जी की कृपा निरंतर अपने भक्तजन पर बना रहे तथा असहाय असाध्य रोग से ग्रसित रोगियों का इलाज और सुधार विश्वास पूर्वक होता रहे और यह सम्भव है मात्र अपने इष्ट पर अटूट विश्वास की जो अपनी गाथा सर्वत्र बिखेर रही है।

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