इस बार फिर बिजली की रिकॉडतोड़ मांग है.क्या इस गर्मी फिर पैदा होगा बिजली संकट, सरकार कितनी तैयार?
देश ने बीते साल बिजली संकट झेला है. अप्रैल-मई में जब बिजली की मांग हाई थी, तब कोयला संकट पैदा हो गया था. इस बार तो फरवरी में ही बिजली की रिकॉडतोड़ मांग है.क्या इस गर्मी फिर पैदा होगा बिजली संकट, सरकार कितनी तैयार?
5 पॉइंट में पूरी बातबिजली संकट की आशंका!ठंड का मौसम गया और गर्मी आ गई. वसंत गायब. फरवरी बीता नहीं कि अभी से ही तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है. पिछले साल पड़ी गर्मी ने 122 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया था. इस साल फरवरी में ही गर्मी ने कई दशकों का रिकॉर्ड तोड़ डाला है.
दिल्ली में अभी से ही पारा 32-33 के पार जा रहा है, जबकि राजस्थान के जैसलमेर जैसे इलाकों में 38 डिग्री के पार. बढ़ती गर्मी के बीच बिजली की मांग भी बढ़ती जा रही है.अमूमन अक्टूबर से बिजली की मांग कम होने लगती है और फिर मार्च के बाद बहुत बढ़ने लगती है. लेकिन इस बार जनवरी-फरवरी में ही देश में बिजली की खपत काफी बढ़ गई है. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी के आंकड़ों का एनालायसिस करें तो आने वाले दो महीने में ही बिजली की मांग करीब दोगुनी होने की आशंका जताई जा रही है.खेती में सिंचाई से लेकर घरों-दफ्तरों में कूलर, फ्रिज और एयर कंडीशनर तक का इस्तेमाल बढ़ने के चलते बिजली की खपत बहुत ज्यादा बढ़ सकती है.
इन सामानों की बिक्री भी लगातार बढ़ रही है.आइए, बिंदुवार समझने की कोशिश करते हैं कि देश में बिजली संकट पैदा होने की कितनी संभावना है और सरकारों की ओर से क्या तैयारी है.फरवरी में ही रिकॉर्डतोड़ गर्मी:भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने हाल ही में महाराष्ट्र के कोंकण और गुजरात के कच्छ समेत देश के कई हिस्सों के लिए हीट वेव का अलर्ट जारी किया है. अमूमन ये अलर्ट अप्रैल या उसके बाद जारी होते रहे हैं.
दिल्ली में पारा 32 तो जैसलमेर-बाड़मेर में 38 डिग्री के पार चला गया है, जो कि फरवरी में 80 सालों में हाई टेंपरेचर का रिकॉर्ड तोड़ रहा है. इस बात की पूरी आशंका है कि मार्च-अप्रैल में ही गर्मी चरम पर पहुंच जाएगी और मई-जून के महीने में तो और ज्यादा बुरी स्थिति होगी.बिजली की ज्यादा मांग: फरवरी में ही बढ़ती गर्मी के साथ बिजली की खपत बढ़ती जा रही है.
मार्च के बाद तो इसमें और ज्यादा बढ़ोतरी होगी. पिछले साल जनवरी में बिजली की मांग 195 गीगावाट थी और अप्रैल में 216 गीगावाट. वहीं इस साल जनवरी में ही यह आंकड़ा 211 गीगावाट के पार कर चुका है. इस साल अप्रैल में बिजली की मांग 230 गीगावाट से भी पार जाने की आशंका जताई जा रही है. गर्म प्रदेशों में शामिल राजस्थान में तो बिजली मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बिजली की मांग पिछली गर्मियों के मुकाबले 30 फीसदी तक ज्यादा बढ़ने की बात कही है.कोयले पर निर्भरता: भारत की कुल बिजली मांग का करीब 70 फीसदी कोयले से पूरी की जाती है.
बाकी 30 फीसदी बिजली ही हाइड्रोपावर, सोलर या अन्य स्रोतों से उत्पादित की जाती है. देश में कोयले की कुल खपत का तीन-चौथाई हिस्सा केवल बिजली उत्पादन पर ही खर्च होता है. देश में करीब 135 थर्मल पावर प्लांट्स हैं, जहां बिजली उत्पादन के लिए 1.5 मिलियन टन कोयला अगले 40 दिन के लिए स्टोर रखा जाता है.बीते साल का संकट:देश ने बीते साल बिजली संकट झेला है. अप्रैल-मई में जब बिजली की मांग हाई थी, तब कोयला संकट पैदा हो गया था. राजधानी दिल्ली और कई महानगरों में भी बिजली कटौती की जा रही थी. ऐसी खबरें आ रही थीं कि देश के कई थर्मल प्लांट्स में 2-4 दिन से ज्यादा का कोयला नहीं है.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ वीके त्रिपाठी ने कहा था कि 2021 के मुकाबले 2022 में कोयले की मांग और खपत करीब 20 फीसदी बढ़ी है. हालांकि केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने कहा था कि कोयले की कमी नहीं है. स्थितियां कुछ ही दिनों में काबू में हो गई थीं. इस साल फरवरी में ही ऐसा हाल है, सो बिजली संकट की आशंका जताई जा रही हे.सरकार की तैयारी: पिछले साल की तरह इस साल बिजली संकट पैदा न हो, इसके लिए अभी से तैयारी की जा रही है. ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, बिजली की मांग अप्रैल में 229 गीगावाट तक पहुंच सकती है. जैसा कि 70 फीसदी बिजली का स्रोत कोयला ही है और चूंकि थर्मल पावर प्लांट्स में अभी कोयले का स्टॉक 4.5 करोड़ टन के टारगेट से नीचे है.
ऐसे में सरकार ने मार्च के आखिर तक स्टॉक पूरा करने को कहा है, ताकि पुरजोर गर्मी के दौरान प्लांट्स में कोयले की कमी न हो और निर्बाध बिजली आपूर्ति हो सके.