1 नवंबर से बैंकों के ये नियम में बदलाव, ऐसे होगा आपकी जेब पर असर…

1 नवंबर से बैंकों के ये नियम में बदलाव, ऐसे होगा आपकी जेब पर असर…
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने बैंकिंग सेक्टर से जुड़ा एक बड़ा ऐलान किया है, जो देश के करोड़ों बैंक ग्राहकों के लिए बेहद अहम है. मंत्रालय ने बैंकिंग कानून (संशोधन) अधिनियम, 2025 के तहत नए नियम लागू करने की घोषणा की है, जो 1 नवंबर 2025 से प्रभावी होंगे. इन नए प्रावधानों का सीधा असर आपके बैंक खाते, लॉकर और सुरक्षित अभिरक्षा में रखी संपत्तियों पर पड़ेगा. अब ग्राहकों को अपने पैसों और संपत्ति पर ज्यादा नियंत्रण और फ्लेक्सीबिलिटी मिलेगा.
1 नवंबर से क्या-क्या बदलने जा रहा है?
अब तक बैंक खातों या लॉकरों में केवल एक या दो नामांकित व्यक्तियों (Nominee) का विकल्प होता था. लेकिन नए नियमों के तहत ग्राहक अब एक साथ या क्रमवार तरीके से चार तक नामांकन कर सकेंगे. इसका मतलब है कि आप अपने बैंक खाते, लॉकर में रखी वस्तुओं के लिए कई लोगों को नामांकित कर पाएंगे. इससे भविष्य में किसी भी तत्कालिक स्थिति में क्लेम प्रोसेस आसान हो जाएगा.
एक से अधिक नामांकन की सुविधा
नए प्रावधानों के मुताबिक, ग्राहक अपनी जमा राशि के लिए चार नामांकित व्यक्ति तय कर सकते हैं. आप तय करेंगे कि हर नामांकित व्यक्ति को कितने प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी जैसे किसी एक को 50%, दूसरे को 30% और बाकी को 20%. यह व्यवस्था पारदर्शिता लाएगी और विवादों की संभावना कम करेगी.
लॉकर और सेफ कस्टडी में रखी वस्तुओं के लिए नया नियम
लॉकर या बैंक में रखी कीमती चीजों के लिए अब केवल क्रमिक नामांकन (Sequential Nomination) की अनुमति होगी. यानी पहले नामांकित व्यक्ति की मृत्यु के बाद ही अगला नामांकित व्यक्ति पात्र होगा. इससे स्वामित्व और उत्तराधिकार की प्रक्रिया ज्यादा स्पष्ट और आसान बनेगी.
बैंकिंग में बढ़ेगी पारदर्शिता और सुरक्षा
वित्त मंत्रालय का कहना है कि इन नए बदलावों से बैंकिंग सिस्टम में पारदर्शिता बढ़ेगी और दावा निपटान (Claim Settlement) की प्रक्रिया में एकरूपता आएगी. साथ ही यह कदम जमाकर्ताओं को अपनी जमा राशि या संपत्ति के प्रति पूर्ण नियंत्रण और सुविधा देगा. मंत्रालय जल्द ही ‘बैंकिंग कंपनी (नॉमिनेशन) नियम 2025’ जारी करेगा, जिसमें नामांकन जोड़ने, बदलने या रद्द करने की प्रक्रिया को सरल भाषा में बताया जाएगा.
सिर्फ यही नहीं, सुधार की बड़ी तस्वीर भी
इन बदलावों का मकसद केवल नामांकन तक सीमित नहीं है. सरकार का उद्देश्य है बैंकिंग क्षेत्र में गवर्नेंस को मजबूत करना, जमाकर्ताओं की सुरक्षा बढ़ाना और रिपोर्टिंग सिस्टम को एकरूप बनाना. इसके साथ ही यह अधिनियम सहकारी बैंकों में निदेशकों के कार्यकाल को भी व्यवस्थित करेगा और ऑडिट क्वालिटी में सुधार लाएगा.
इसका असर आपकी जेब पर
इन नियमों से आम ग्राहक को सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अब अपने पैसों या लॉकर में रखी चीजों के लिए नामांकन तय करने में ज्यादा विकल्प मिलेंगे. इससे भविष्य में संपत्ति विवाद या दावे के समय परिवार को परेशानी नहीं होगी. कुल मिलाकर 1 नवंबर से बैंकिंग प्रणाली ज्यादा सुरक्षित, पारदर्शी और ग्राहक-हितैषी बनने जा रही है.



