छत्तीसगढ़हेल्थ

जीवन को खुशनुमा और स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद के इन नियमों का करें पालन

रायपुर। जीवन को खुशनुमा और स्वस्थ बनाने के लिए नियमित समय पर सोना और जागना, तरोताजा करने वाली नींद और खुशनुमा सुबहें अनिवार्य रूप से स्वस्थ जीवन की ओर पहला कदम है। आयुर्वेद के मुताबिक रात 10 बजे से पहले बिस्तर पर जाना और ब्रह्म मुहूर्त (सूर्योदय से पहले) में जागना, उत्तम पाचनशक्ति, मानसिक स्वास्थ्य, शारीरिक बल और बेहतर समय प्रबंधन के लिए बहुत आवश्यक है। जब पिछला भोजन पचा नहीं होता है, हमारा शरीर तब संकेत देता है किन्तु फिर भी हम अपने पाचन तंत्र पर अधिक भोजन का बोझ डालते रहते हैं जो न केवल पाचन को सुस्त बनाता है बल्कि विषाक्त पदार्थों के संचय की ओर भी ले जाता है। भोजन तभी करें जब आपको भूख लगे या फिर अपने आप को हल्के विकल्प, जैसे कि कच्चे नारियल का पानी या ककड़ी के कुछ टुकड़ों से ही सन्तुष्ट करें। जब आपको प्यास लगी हो तो आप चाहे कितने भी व्यस्त क्यों न हों, पानी के सेवन को स्थगित न करें।

एक और बड़ी भूल जो हम करते हैं, वह प्राकृतिक आग्रहों जैसे कि हमारी आंतों या मूत्राशय को खाली करने को अनदेखा करना या स्थगित करना है, अथवा जब कोई प्राकृतिक आग्रह न हो तो शारीरिक संस्थान पर अनावश्यक दबाव डालना। क्या आप जानते हैं कि सूर्योदय से पहले शरीर में वात दोष मुख्य होता है? अपना वायु, जो नीचे की दिशा में चलती है और शरीर से अपशिष्ट पदार्थ और विषाक्त पदार्थों के उन्मूलन के लिए जिम्मेदार है, दिन निकलने से पहले की अवधि में सक्रिय रहती है। इसलिए हम सभी को उस दौरान आंतों और मूत्राशय को खाली करने के लिए प्राकृतिक आग्रह महसूस होता है। आयुर्वेद में इनका स्पष्ट उल्लेख है लेकिन वर्तमान समय में व्यस्तता के कारण मानव जीवन अस्त- व्यस्त हो गया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button