क्राइमछत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में डायल 112 के नाम फर्जी दस्तावेजों के आधार पर करोड़ों के टेंडर

भोपाल। छत्तीसगढ़ में डायल 112 के नाम पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर एक कंपनी के छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में टेंडर लेने का मामला उजागर हुआ है। छग में संचालित 112 गाड़ियों में ड्राइवर उपलब्ध कराने वाली कंपनी एबीपी ने पुलिस मुख्यालय के नाम पर फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनाया। इसके आधार पर छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग में महतारी एक्सप्रेस में ठेका लेने का प्रयास किया। मध्य प्रदेश में डायल 100 का ठेका इसी प्रमाण पत्र के आधार पर लिया गया।

मध्य प्रदेश में डायल 100 का ठेका करीब 600 करोड़ का है। विवाद होने के बाद छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग और मध्य प्रदेश के पुलिस विभाग ने छत्तीसगढ़ पुलिस से जानकारी मांगी थी। एबीपी की शिकायत होने पर पुलिस मुख्यालय ने एआइजी तकनीकी सेवाएं से मामले की जांच कराई, जिसमें पाया गया कि कंपनी ने फर्जी प्रमाण पत्र बनाया है। मध्य प्रदेश में डायल-100 का ठेका जिन दस्तावेजों के आधार पर लिया गया, उसे पुलिस जांच में सही पाया गया था।

पुलिस मुख्यालय के उधा पदस्थ सूत्रों की मानें तो एबीपी कंपनी ने छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य विभाग की महतारी सेवा के लिए टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया। कंपनी ने डायल 112 का अनुभव प्रमाण पत्र जमा किया। स्वास्थ्य विभाग ने कंपनी के बारे में जब पुलिस मुख्यालय की तकनीकी सेवाएं से पूछताछ की तो अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि एबीपी को डायल 112 का काम नहीं दिया गया है।

यह काम टाटा प्राइवेट लिमिटेड को दिया गया है, जिसमें एबीपी कंपनी सिर्फ ड्राइवर सप्लाई का काम करती है। यही नहीं, पुलिस मुख्यालय के नाम पर जारी प्रमाण पत्र भी फर्जी है। जांच रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि एबीपी कंपनी पर कार्रवाई की जानी चाहिए, लेकिन जांच के छह महीने बाद भी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

पुलिस मुख्यालय की जांच रिपोर्ट के आधार पर एबीपी कंपनी के योगेश मलिक से जब पूछताछ की गई, तो उन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र की जानकारी से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रमाण पत्र कैसे और किसने जारी किया, इसकी जानकारी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि इस प्रमाण पत्र को छत्तीसगढ़ के महतारी एक्सप्रेस और मध्य प्रदेश के डायल 100 के टेंडर में कैसे लगाया गया।

एबीपी कंपनी के अनुभव प्रमाण पत्र में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी, जिसकी जांच डायल 112, सी-4 के सहायक पुलिस महानिरीक्षक से कराई गई थी। जांच में प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया है। इसके आगे की कार्रवाई की जा रही है।

आरके विज, स्पेशल डीजी, तकनीकी सेवाएं

मप्र में डायल-100 के टेंडर का मामला

पुलिस महकमे की डायल-100 के लिए 600 करोड़ रुपये की टेंडर प्रक्रिया में जीवीके इएमआरआइ और अशोका बिल्डकॉन कंपनी शामिल हुई थी। अशोका बिल्डकॉन ने एबीपी ट्रेवल्स एंड फेसिलिटी मैनेजमेंट के साथ संयुक्त रूप से हिस्सा लिया। इसमें एबीपी के अनुभव के प्रमाण पत्र लगाए गए और इसी आधार पर ठेका मिला। इस पर जीवीके ने शिकायत की कि अशोका बिल्डकॉन ने गलत दस्तावेज लगाकर टेंडर हासिल किया है।

इस मामले की जांच की गई। टेलीकॉम एंड रेडियो के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय झा ने बताया कि जांच में दस्तावेजों को सही पाया गया है। हमने दस्तावेजों के एग्रीमेंट की कॉपी का सत्यापन छत्तीसगढ़ पुलिस से करवाया था।

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