छत्तीसगढ़

26 मई को मनाएंगे काला दिवस, संयुक्त किसान मोर्चा ने किया एलान

रायपुर। संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के घटक संगठनों की ओर से 26 मई को काला दिवस मनाएंगे। प्रदेश में भी किसान अपने घरों, गाड़ियों में काला झण्डा फहराएंगे तथा निरंकुश शासक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संवेदनहीन कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का घर घर पुतला जलाएंगे।

इसकी जानकारी देते हुए अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के उपाध्यक्ष मदन लाल साहू तथा सचिव तेजराम विद्रोही, नदीघाटी मोर्चा के संयोजक गौतम बंध्योपाध्याय, किसान समन्वय समिति सदस्य पारसनाथ साहू, गजेन्द्र कोसले, कृषक बिरादरी के संयोजक डाॅ. संकेत ठाकुर, किसान भुगतान संघर्ष समिति महासमुन्द के संयोजक जागेश्वर जूगनू चन्द्राकर, किसान मोर्चा धमतरी के संयोजक अधिवक्ता शत्रुघन साहू, अखिल भारतीय किसान महासंघ के संयोजक डाॅ. राजाराम त्रिपाठी, आदिवासी भारत महासभा के अध्यक्ष भोजलाल नेताम एवं संयोजक सौरा, राजधानी प्रभावित किसान संगठन नया रायपुर के संयोजक रूपन चंद्राकार, छत्तीसगढ निवेशक एवं अभिकर्ता कल्याण संघ के अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण चंद्राकर, किसान संघर्ष समिति रायगढ़ के संयोजक लल्लू सिंह, किसान मजदूर महासंघ बिलासपुर के संयोजक श्याम मूरत कौशिक आदि ने कहा कि साल 2014 में भाजपा ने ’’हर हर मोदी, घर घर मोदी’’ का नारा दिया था।

इसी के साथ साथ बहुत हो गई महंगाई की मार अबकि बार मोदी सरकार, बहुत हो गई भ्रष्टाचार अबकि बार मोदी सरकार जैसे नारे दिए थे, पेट्रोल डीजल की दामों को कम करने जैसे लोक लुभावन वायदे किए थे। लेकिन आज मोदी के सात साल पूरे होने को है और उनके वायदे केवल जुमले बनकर रह गए। इस प्रकार हर साल दो करोड़ बेरोजगारों को रोजगार देने, प्रत्येक भारतीयों के बैंक खातों में 15-15 लाख रुपये देने का वायदा किया था उसी प्रकार किसानों को उनके उपजों का स्वामीनाथान आयोग की सिफारिशो के अनुरुप लागत से डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का वायदा किया था जो आज झूठा साबित हो चुका है। उल्टे कृषि को काॅरपोरेटों के हवाले करने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को बाजार के हवाले करने की नियत से 5 जून 2020 को अध्यादेश लाकर मोदी सरकार ने काॅरपोरेट परस्त व किसान कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी कानून को जबरदस्ती थोपा है, जिसके खिलाफ किसानों का आन्दोलन निरंतर जारी है।

मोदी सरकार सभी सार्वजनिक संस्थानों जैसे रेल्वे, बैंक, बीमा, भेल, हवाई आदि को निजी हाथों में बेच रहा है, कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए ही श्रम कानूनों में संशोधन कर मजदूर विरोधी चार कोड बिल बनाया, कोरोना जैसे महामारी के पहले चरण में नमस्ते ट्रंप किया और दूसरे चरण में पांच राज्यों के विधनसभा चुनाव के बहाने कोरोना संक्रमण की गंभीरता को हल्के में लिया और जब भारत की लाखों जनता कोरोना से अपनी जान गवां चुके हैं, आज भी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराया हुआ है उसे दुरुस्त न कर अनावश्यक रूप से करोड़ों रुपए खर्च कर सेंट्रल वीष्टा बनाने में लगा हुआ है। आपदा को अवसर में बदलकर आवश्यक वस्तुओं की महंगाई बढ़ाने वाले मुनाफाखोरों, कालाबाजारियों पर मोदी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। अर्थात् मोदी सरकार हर मोर्चे पर असफल साबित हुआ है जो देश के मेहनतकश मजदूर किसानों और आम उपभोक्ताओं के लिए किसी अंधकारमय दिन से कम नहीं है इसलिए ’’घर घर किसान, हर घर मोदी का पूतला दहन ’’ की आशय के साथ किसान 26 मई को काला दिवस मनएंगे।

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