छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा मंत्री ने की समीक्षा, महाविद्यालयों के नैक से मूल्यांकन कराने में 5 गुना हुई वृद्धि
रायपुर। छत्तीसगढ़ में महाविद्यालयों की ओर से नैक से मूल्यांकन कराए जाने में 5 गुना की वृद्धि हुई है। ये प्रदेश के उच्च शिक्षा के गुणवत्ता उन्नयन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जानकारी 30 जुलाई को उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल की अध्यक्षता में हुई नैक की समीक्षा बैठक में दी गई। बैठक में बताया गया कि शासकीय महाविद्यालयों के नैक से मूल्यांकन में सरगुजा एवं बिलासपुर संभाग ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
सरगुजा संभाग के 33 अर्हता प्राप्त शासकीय महाविद्यालयों में से 30 के ओर से आईआईक्यूए और बिलासपुर के 45 अर्हता प्राप्त शासकीय महाविद्यालयों से 26 महाविद्यालय की ओर से आईआईक्यूए नैक में जमा किया जा चुका है। उक्त दोनों संभागों की कार्यप्रणाली को प्रदेश के अन्य संभागों में भी अनुकरण करने पर विभाग की ओर से निर्देश दिए गए। उच्च शिक्षा मंत्री ने नैक से मूल्यांकन कराए जाने को महत्वपूर्ण बताया।
उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में बेहतर सोच व बेहतर गुणवत्ता का पैमाना नैक से मूल्यांकन है। उन्होंने शेष सभी महाविद्यालयों को भी नैक से मूल्यांकन शीघ्र सुनिश्चित करने के लिए कहा। उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से 1994 में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् का गठन किया गया है। जिसे नैक के नाम से जाना जाता है, जो कि एक स्वशासी संस्था है। इसका मुख्यालय बेंगलूरू में स्थित है।
नैक की ओर से गठित निरीक्षण दल में विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्राध्यापक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य सदस्य के रूप में नामित किए जाते हैं, जो उच्च शिक्षण संस्थाओं का नैक की ओर से निर्धारित 7 मानदंडों के आधार पर मूल्यांकन करते हैं। नैक की ओर से मूल्यांकित किए जाने से उच्च शिक्षण संस्थानों को उनकी क्षमता, कमियां, अवसर एवं चुनौतियों को जानने का मौका मिलता है। नैक से मूल्यांकन कि समस्त प्रक्रिया में विद्यार्थी को केन्द्र में रखकर मानदंड तैयार किए गए हंै।