छत्तीसगढ़

इस जल में मुर्गियों के आशियाने को ठिकाना बनाने पर मजबूर ग्रामीण, अधिकारियों ने किया जमकर भ्रष्टाचार

कोरबा। मॉडल बनाने के नाम पर पहाड़ी कोरवा आदिवासी गांव के साथ अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का बड़ा खेल खेला है। रहने के लिए जो मकान बने उसमें इतनी सीपेज है कि लोग ताला लगाकर अपने पुराने घरों में तो कुछ मुर्गी के शेड में रहने को मजबूर हैं। बिजली के लिए खंभे, तार और ट्रांसफार्मर लगे। तीन घंटे जलने के बाद डेढ़ साल से बिजली नहीं आई। इस तरह जितने भी काम हुए सभी घटिया स्तर के हुए।

जानकारी के मुताबिक कोरबा ब्लॉक के ग्राम माखूरपानी के आश्रित पहाड़ी कोरवा गांव छातासराई को जिला खनिज न्यास मद से मॉडल बनाने की स्वीकृति 2017-18 में मिली थी। आरईएस, पंचायत, बिजली, पीएचई, कृषि, पीएम आवास, वन विभाग की एक संयुक्त तौर पर प्लानिंग कर काम शुरु हुआ। पीएम आवास के तहत 21 मकान बने। हर मकान के साथ मुर्गी पालन के लिए शेड भी बनाकर दिए गए। करीब तीन किलोमीटर लंबी लाइन खींचने के लिए खंभे, ट्रांसफार्मर व तार लगाए गए। प्रवेश द्वार, पेवर ब्लॉक का काम भी हुआ।

 

जब इसका लोकार्पण हुआ तब दावा किया गया कि इस मॉडल पर जिले के दूसरे पहाड़ी कोरवा गांव में काम होगा। लोकार्पण के शुरुआती तीन दिन तक बिजली थी। इसके बाद से बिजली नहीं आई। बारिश के बाद अब मकान रहने लायक नहीं रहे। इतना सीपेज है कि कभी भी मकान का छज्जा गिर सकता है। लोग मजबूरन पुराने घरों में या फिर जो मुर्गी के लिए शेड बनाए गए थे। उसमें रहने चले गए। कुछ महीने पहले शिकायत हुई तो मेंटनेंस में भी अधिकारियों ने भ्रष्टाचार कर दिया।

 

वितरण विभाग को तीन बार पत्र, जवाब एक बार भी नहीं

जिला पंचायत सीईओ ने तीन बार वितरण विभाग को पत्र लिखकर बिजली शुरु नहीं करने की जानकारी तलब कर चुके हैं। एक बार भी वितरण विभाग ने जवाब ही नहीं दिया। अब तो खंभे टूटने लगे हैं। कई जगह से केबल वायर की भी चोरी हो चुकी है।

स्वरोजगार के लिए दुकानें भी स्वीकृत थी। आधा निर्माण हुआ तब से काम बंद है। सिंचाइ के लिए सौर सुजला योजना के तहत सोलर पैनल और पंप लगाया गया। ये भी बंद पड़ा है। दो महीने में ही इसका पंप खराब हो चुका था। कई शिकायत के बाद भी पंप को सुधारा नहीं गया।

वन विभाग का शेड पहली ही बारिश में टूट गया

वन विभाग ने महिलाओं के लिए एक ट्रेनिंग सेंटर का निर्माण कराया था। जहां महिलाओं को बांस के सूपा समेत अन्य सामग्री बनाने की ट्रेनिंग दी जानी थी। काम इतना घटिया हुआ था कि यह पहली ही बारिश में टूट गया था। आज तक इसकी मरम्मत नहीं की गई। एक बार भी लोगों को प्रशिक्षण नहीं मिला।

 

दावा था हर साल मिलेगी 10 मुर्गियां, एक साल बाद ही भूल गए

पहाड़ी कोरवा परिवारों को वादा किया गया था कि हर साल उनको 10 मुर्गियां दी जाएगी। ताकि उनकी आजीविका अच्छी तरह से हो सके। पहले साल 10 मुर्गियां दी गई उसके बाद अधिकारी भूल गए। अब ये मुर्गी के शेड में लकड़ी रखने के काम आ रहा है।

आधी सड़क ही बनी,नाली कागजों में

सतरेंगा मुख्य मार्ग से करीब तीन किलोमीटर घने जंगल के ऊपर पहाड़ी पर यह गांव बसा है। मुख्य मार्ग से गांव तक आधी सड़क ही सीसी रोड हो सकी है। इधर बोर्ड में अंकित नाली का निर्माण अब तक नहीं हुआ है। इससे सीसी रोड पर चलना मुश्किल हो गया है।

आदर्श पहाड़ी कोरवा गांव की समस्या को कल ही एक टीम भेजवा कर जांच करवाई जाएगी। अगर कहीं कमियां होगी तो दूर की जाएगी। जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी होगी।

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