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राजधानी में एक लाख इनाम वाली दही हांडी प्रतियोगिता पर संकट

रायपुर। कई सालों से राजधानी के सप्रे शाला मैदान में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दही-हांडी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन होता आ रहा है। प्रतियोगिता में प्रदेशभर से ग्वालों की टोलियां भाग लेती हैं। कुल एक लाख रुपए से अधिक का पुरस्कार बांटा जाता है। इस बार कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका के चलते दही-हांडी प्रतियोगिता पर संकट का साया मंडरा रहा है। आयोजन समिति को प्रशासन ने अभी तक अनुमति नहीं दी है।

समिति द्वारा लगाए गए आवेदन पर प्रशासन ने नियमों का अड़ंगा लगा दिया है। समिति से कहा गया है कि 100 से अधिक लोग शामिल नहीं होंगे, तभी अनुमति दी जाएगी। समिति सदस्यों का कहना है कि एक टोली में ही 50 से अधिक युवा भाग लेते हैं। प्रदेशभर से 20-25 से अधिक गोप-गोपियों की टीमें पहुंचती हैं। चार-पांच घंटे तक प्रतियोगिता देखने भी लोग जुटते हैं। ऐसे में 100 सदस्यों के शामिल होने का नियम उचित नहीं है।

लोक गीत, नृत्य, अखाड़ा प्रदर्शन नहीं

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी समिति के संस्थापक अध्यक्ष माधवलाल यादव का कहना है कि प्रशासन ने उमड़ने वाली भीड़ को सीमित रखने का हवाला दिया है, चूंकि मटकी फोड़ने वाले गोप-गोपियों की संख्या ही चार-पांच सौ से अधिक होती है। दोपहर 12 बजे से शाम तक मटकी फोड़ने की होड़ लगी रहती है।

राउत नाचा, छत्तीसगढ़ी लोकगीत-नृत्य, अखाड़ा प्रदर्शन भी होता है। इसे देखने भी काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं। हमने सीमित आयोजन करने के लिए आवेदन दिया है, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली है।क्रेन के सहारे लटकाते हैं मटकी

सप्रे शाला मैदान में हर साल होने वाली प्रतियोगिता में क्रेन के सहारे 30 फुट ऊंचाई पर मटकी लटकाई जाती है। तीन साल से गोपियों की टोलियां भी मटकी फोड़ने उत्साह दिखा रहीं हैं। सप्रे शाला के अलावा गुढ़ियारी इलाके में भी कुछ साल से प्रतियोगिता में लाखों का इनाम जीतने होड़ मचती है। वहां भी इस बार आयोजन नहीं होगा।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी समिति के नेतृत्व में पिछले पांच साल से कोतवाली चौक स्थित जेल में आधी रात 12 बजे कान्हा के जन्म लेने की प्रस्तुति होती है। इसके बाद कान्हा को जेल परिसर से लेकर सदरबाजार स्थित गोपाल मंदिर में धूमधाम ले जाया जाता है। इस बार भी कोतवाली जेल में कान्हा के जन्म का आयोजन किया जाएगा।

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