छत्तीसगढ़

राजधानी में निगम गार्डन से ठेके की शुरुआत, 29 और उद्यानों को निजी कंपनी को देने की तैयारी

रायपुर। कोरोना संकटकाल के बाद राजधानी रायपुर के गार्डन और पार्क में इन दिनों रौनक आ गई है। सपरिवार गार्डन में घूमने आने वाले लोगों को जल्द ही यहां पर फूड जोन की सुविधा मिलेगी यानी चाट, पकौड़े आदि खाद्य सामग्री का लुत्फ लोग उठा सकेंगे। यही नहीं, इवेंट के लिए किराए पर जगह भी दी जाएगी। निगम मुख्यालय के सामने स्थित गार्डन का पांच फीसद यानी दो हजार वर्गफुट का हिस्सा सालाना सात लाख रुपये में निजी कंपनी को ठेका दिया गया है।

यह कंपनी ही यहां पर सारी सुविधाओं के साथ वाई-फाई भी निश्शुल्क उपलब्ध कराएगी। गार्डन का मेंटनेंस कंपनी के जिम्मे होगा। घूमने आने वालों से वाहनों का पार्किंग शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। इसके बाद अन्य 29 उद्यानों को भी नगर निगम ने ठेके पर देने की योजना बनाई है। इसके लिए जल्द ही टेंडर निकाले जाएंगे।

नगर निगम मुख्यालय महात्मा गांधी सदन के सामने वाले गार्डन का पांच प्रतिशत हिस्सा पांच साल के लिए निजी हाथों को सौंपने का फैसला जुलाई महीने में सामान्य सभा की बैठक में देने का प्रस्ताव बहुमत से पास हुआ था। इसी क्रम में पिछले दिनों सात लाख रुपये में गणपति इंफ्रा स्ट्रक्चर कंपनी को ठेका दे दिया गया है। यह एजेंसी निगम गार्डन के पांच फीसद हिस्से में चाट-गुपचुप के ठेले, पकौड़े इत्यादि के ठेले या स्टाल किराए पर लगवाएगी।

गार्डन का मेंटेनेंस करेगी ठेका कंपनी

गार्डनों को आत्मनिर्भर बनाने यानी मेंटेनेंस का खर्च खुद निकालने के लिए निगम ने यह योजना बनाई है। एक गार्डन से निगम को सालाना कम से कम दो लाख रुपये लाइसेंस फीस मिलेगी। निजी ठेका कंपनी यहां पर गुपचुप, चाट-भेल के ठेले और गुमटियां लगवाएगी। गार्डन में स्टेज बनाकर इवेंट के आयोजन भी कराए जाएंगे। कंपनी को यहां पर विज्ञापन का अधिकार भी मिलेगा।

अन्य गार्डनों का होगा रखरखाव

निगम के अफसरों ने बताया कि शहर में निगम के 189 गार्डन हैं। इनमें से 80 गार्डन पूरी तरह सुसज्जित हैं। इन सभी के मेंटेनेंस में हर साल करीब 30 लाख खर्च होते हैं। हर माह लाखों का खर्च और कर्मचारियों की कमी के कारण शेष गार्डन व्यवस्थित नहीं हो पा रहे हैं। ठेके पर गार्डन को देने से ये आत्मनिर्भर होंगे, यानी मेंटेनेंस का खर्च निकलेगा। उद्यानिकी विभाग के अध्यक्ष सुरेश चन्नावार का कहना है कि कि गार्डन का सिर्फ पांच प्रतिशत हिस्सा ठेके पर देने से उसके एवज में मिलने वाले पैसे से निगम के अन्य गार्डनों का रखरखाव किया जा सकेगा।

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