छत्तीसगढ़

राजधानी में वाेकेशनल के शिक्षकों को कंपनी नहीं दे रही सैलरी, शिक्षा अफसरों ने कहा ये हमारे नहीं

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत रोजगारन्मुखी वाेकेशनल कोर्स को पढ़ाने वाले शिक्षकों की हालत खराब हो गई है। इन्हें दो महीने की सैलरी के लिए भटकना पड़ रहा है। एक तरफ नियोजक कंपनी इन शिक्षकों को सैलरी नहीं दे रही है तो दूसरी तरफ शिक्षा अफसर इन्हें अपना शिक्षक मानने को तैयार ही नहीं हैं। दरअसल, प्रदेश में आउटसोर्सिंग के जरिए कक्षा नौवीं से 12वीं तक के बच्चों को वोकेशनल कोर्स पढ़ाया जा रहा है।

कोरोना काल में इन शिक्षकों को कंपनियों की मनमानी से सैलरी नहीं मिल रही है। ये शिक्षक स्कूल छोड़कर पेंशनबाड़ा स्थित समग्र शिक्षा कार्यालय का घेराव करने पहुंचे। यहां लीमेट स्किल लिमिटेड कंपनी के खिलाफ गंभीर शिकायतें की है। अभ्यर्थियों ने प्रबंध संचालक के नाम से एक ज्ञापन सौंपा है जिसमें बताया गया है कि लीमेट स्किल लिमिटेड कंपनी जून की सैलरी बताकर मई की सैलरी स्लिप दी गई।

अफसरों की मिलीभगत से शोषण का शिकार
बता दें कि वाेकेशनल के शिक्षक स्कूल शिक्षा के अफसरों और कंपनियों के मिलीभगत के कारण शोषण का शिकार हो रहे हैं। शिक्षकों को नियुक्ति के समय 21 हजार रुपये सैलरी देने के लिए कहा गया था। अब कंपनी इन्हीं के सैलरी से पीएफ अकाउंट में अपने हिस्से की राशि जमा कर रही है। ऐसे में शिक्षकों को केवल 16 हजार रुपये ही मिल पा रहा है। समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत कंपनी को हर शिक्षक के लिए 28 हजार रुपये भुगतान किया जा रहा है। ऐसे में बाकी रकम कंपनी और अधिकारियों की मिलीभगत से हजम किया जा रहा है। शिक्षकों ने बताया कि शिकायत करने पर कंपनी प्रबंधन नौकरी से हटाने की धमकी देता है।

वाेकेशनल के नाम पर धोखा

स्कूल शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा के अंतर्गत 546 स्कूलों में टेलीकम्यूनिकेशन, बैंकिंग फाइनेंस, एनिमेशन और मल्टीमीडिया ट्रेड, आइटी, हेल्थ केयर, एग्रीकल्चर, आटोमोबाइल, रिटेल, ब्यूटी वेलनेस और इलेक्ट्रानिक्स एंड हार्डवेयर कोर्स चलाए जा रहे हैं। इन कोर्सेस के लिए कंपनियां समग्र शिक्षा से प्रैक्टिकल के लिए भी रकम वसूलती हैं। बच्चों को बाकायदा औद्योगिक भ्रमण भी कराना है लेकिन यह राशि कंपनियों ने शिक्षकों को नहीं दी है। ऐसे में प्रैक्टिकल पढ़ाई के नाम पर बच्चों के साथ धोखा किया जा रहा है।

इसके पहले भी अफसरों की उदासीनता के कारण कई वाेकेशनल कोर्स बंद हो चुके हैं। इसके पहले छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) के अंतर्गत राज्य के सरकारी स्कूलों में चल रहे 29 साल पुराने वोकेशनल कोर्सेस को बंद कर दिया गया है।

ये हमारे शिक्षक नहीं हैं

वाेकेशनल पढ़ाने वाले स्कूल शिक्षा विभाग के शिक्षक नहीं हैं। स्कूल शिक्षा और कंपनी के बीच एग्रीमेंट हुआ है। – डा. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा

कंपनी बिल नहीं दे रही

वोकेशनल के शिक्षकों को हम सीधे सैलरी नहीं देते हैं। पहले कंपनी को सैलरी दिया जाता है। कंपनी के बिल के आधार पर ही सैलरी दी जाती है। – अजय देशपांडे, प्रभारी, वोकेशनल कोर्स, समग्र शिक्षा

शिक्षकों की कोई समस्या नहीं है, हम कंपनी के रूल के अनुसार उन्हें सैलरी दे रहे हैं। बाकी जानकारी के लिए मैं अधिकृत नहीं हूं। – लोकेश सेवई, प्रोजेक्ट इंजार्च, लीमेट स्किल लिमिटेड कंपनी

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