छत्तीसगढ़

इस जिले में बारिश की नजर आ रही दो तस्वीर, राहत भी और आफत भी

बिलासपुर। बीते तीन दिनो से हो रही बारिश के कारण जिले में दो तरह की तस्वीर सामने आ रही है। दलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए यह आफत की बारिश साबित हो रही है। खेतों में जलभराव के कारण दलहन की फसल खराब होने की नौबत आ गई है। धान की खेती करने वाले किसानों के लिए यह राहत की बारिश साबित हो रही है। धान की खेती करने वाले किसानों को मौसम खुलने के बाद सतर्कता बरतनी होगी। मौसम खुलते ही फंगस का हमला होगा। इसके लिए अभी से ही तैयारी करनी पड़ेगी।

जिले में बारिश की दो तस्वीर सामने आ रही है। दलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए आफत तो धान की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत की बारिश है। धान फसल लेने वालों के लिए यह अमृत वर्षा के समान है। खासकर जिले के मस्तूरी ब्लाक और दक्षिण बिल्हा के किसानों के लिए यह राहत से कम नहीं है। जिले के इन दो ब्लाक में सूखी की स्थिति बनने लगी थी। बारिश ना होने की स्थिति में अकाल की आशंका भी मंडराने लगा था। धान की फसल लेने वाले किसानों के चेहरे खिल उठे हैं।

सूखे खेतों में पानी का भराव होने लगा है। धान के पौधे लहलहाने लगा है। बिलासपुर जिले में दलहन की खेती करने वाले किसानों की संख्या कम है। मुंगेली जिले में तीन हजार एकड़ में दलहन की खेती किसान करते हैं। इसमें सोयाबीन,उड़द व मूंग की फसल प्रमुख है। जून के प्रथम सप्ताह में किसानों ने सोयाबीन की बोआई कर दी थी।

अब पौधों में फल्ली निकलने लगा है। तीन दिनों से हो रही बारिश के कारण सोयाबीन की फल्ली को नुकसान पहुंचा है। किसानों का कहना है कि 70 फीसदी फसल चौपट हो जाएगी। कमोबेश कुछ इसी तरह की स्थिति मूंग और उड़द की खेती करने वाले किसानों की है।

खेतों में भरा ज्यादा पानी तो फंगस के हमले का खतरा

कृषि विज्ञानियों का कहना है कि धान के खेतों में जल भराव होने की स्थिति में एक सप्ताह तक धान के पौधों को नुकसान नहीं होगा। इससे ज्यादा दिन होने पर पौधों को नुकसान होगा शुरू होगा। इस बीच अगर मौसम साफ होता है तो फंगस हमले का खतरा भी रहेगा। ऐसी स्थिति में किसानों को खेतों से पानी को निकालना होगा और धान के पौधों में दवाओं का छिड़काव करना होगा।

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