छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में भर्ती नियम के खिलाफ अफसरों ने नियम बनाकर जारी कराया प्रोफेसर का विज्ञापन

रायपुर। छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग की ओर से जारी प्रोफेसरों के 595 पदों पर भर्ती के विज्ञापन में भारी विसंगतियां सामने आई हैं। आलम यह है कि भर्ती नियम और जारी विज्ञापन में भारी अंतर है। जानकारी के अनुसार कुछ अधिकारियों ने कुछ खास लोगों के लिए नियमों में हेरफेर करके विज्ञापन जारी कराया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के खिलाफ जाकर अफसरों ने नियमों से खूब खेला हैै।

विशेषज्ञों की मानें तो यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के भर्ती नियम 2018 में प्रोफेसर की भर्ती के लिए आयु संबंधी सीमा नहीं है, जबकि सीजी-पीएससी विज्ञापन में अनारक्षित पुरुषों के लिए उम्र सीमा 45 साल निर्धारित कर दी गई है। साथ ही छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों और पहले से सरकारी सेवा में कार्यरत उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में कोई छूट नहीं दी गई है।

सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जनवरी 2019 में जारी परिपत्र में छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी को शासकीय नौकरी की अधिकतम आयु सीमा में पांच साल की छूट दी गई है। हालांकि इसमें 45 साल की आयु की कैपिंग भी है और छत्तीसगढ़ महाविद्यालय शैक्षणिक भर्ती नियम 2019 में इस परिपत्र में पांच साल की छूट का जिक्र भी है और स्पष्ट किया है कि प्रोफेसर भर्ती में यह 45 साल की कैपिंग लागू नहीं होगी।

तात्पर्य यह है कि बाहरी लोगों के लिए सामान्य प्रशासन की आयु सीमा 45 है, जबकि स्थानीय निवासियों के लिए यह 50 साल तक होगी, लेकिन इस मामले को भर्ती नियमों के विपरीत व्याख्या करके विज्ञापन जारी किया गया है। आयु छूट में प्रदेश के स्थानीय निवासियों का जिक्र है और विज्ञापन में जातिगत आरक्षण के हिसाब से छूट दर्शाई गई है। इस मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी जन चौपाल में यह बात की थी तथा उनकी तरफ से आश्वासन मिला था कि हम तकनीकी रूप से 50 साल ही मानें। बता दें कि पीएससी ने 12 अक्टूबर तक आवेदन मंगाए हैं।

अभ्यर्थियों के सुलगते सवाल

भर्ती विज्ञापन को लेकर कुछ अभ्यर्थियों में कोर्ट में याचिका लगाने की तैयारी की है। उनके सवाल हैं कि शैक्षणिक योग्यता एवं अन्य सभी नियम-शर्तें जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अनुसार हैं तो फिर आयु बंधन क्यों? राज्य के या केंद्र के विश्वविद्यालयों में भी भर्ती में आयु सीमा का कोई बंधन नहीं रहता है, फिर लोकसेवा आयोग की भर्ती में क्यों?

दूसरी विसंगति आयु सीमा में राज्य के अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी को 5 वर्ष की महिलाओं को 10 वर्ष की छूट दी जा रही है तो फिर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी के साथ भेदभाव क्यों? राज्य की स्थानीयता का लाभ सभी वर्ग के उम्मीदवार को मिलेगा, लेकिन सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को नहीं मिलेगा, ऐसा क्यों?

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के महिला अभ्यर्थी को 15 वर्ष की छूट क्यों? साफ है कि इससे सबसे अधिक नुकसान सामान्य वर्ग के पुरुष अभ्यर्थियों को होगा, जो 45 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं। वे सीधे तौर पर इस भर्ती से ही बाहर हो जाएंगे।

राज्य के सहायक प्राध्यापकों को मुश्किल

राज्य में 1990 के पश्चात प्राध्यापकों की सीधी भर्ती नही हुई है ,जिसके कारण 1993 में पीएससी से चयनित प्राय: सभी सहायक प्राध्यापक निर्धारित उम्र सीमा 45 साल को पार कर चुके हैं, वही दूसरी ओर 2012 में पीएससी से भर्ती सहायक प्राध्यापक अध्यापन अनुभव 10 वर्ष नहीं होने के कारण आवेदन से वंचित हो रहे हैं। इस प्रकार से वर्तमान में छत्तीसगढ़ में कार्यरत अधिकांशत: सहायक प्राध्यापक प्राध्यापक की दौड़ से बाहर हो गए हैं।

आयु सीमा की छूट को लेकर अभी तक शिकायत मेरे पास तक नहीं पहुंची है।

– आरती वासनिक, परीक्षा नियंत्रक, पीएससी

इस मामले को तकनीकी रूप से समझने के बाद ही कुछ कर पाएंगे। फिलहाल इसकी जानकारी लेंगे।

– भुवनेश यादव, सचिव, उच्च शिक्षा

एक्सपर्ट व्यू- यूजीसी के नियम में आयुसीमा नहीं है

यूजीसी के नियमानुसार प्रोफेसर के लिए कोई आयु सीमा नहीं है। हालांकि, यहां पीएससी के माध्यम से नियुक्ति हो रही है, इसलिए राज्य सरकार अपने नियमों को लागू करती है। अब किस वर्ग को भर्ती नियम से छूट दी जा रही है या नहीं, इसे देखना पड़ेगा।

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