छत्तीसगढ़

एक दिन में 2 लाख किसानों से 7 लाख मीट्रिक टन खरीदना असंभव , खरीदी सुनिश्चित करे सरकार

रायपुर । सोसायटियों के‌ माध्यम से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी हेतु महज एक दिन का समय शेष रह गया है और इस एक दिन में पंजीकृत बचे लगभग 2 लाख किसानों का करीबन 7 लाख मीट्रिक टन खरीदना शेष रह गया है । किसान संघर्ष समिति के संयोजक भूपेन्द्र शर्मा ने एक दिन में इस खरीदी को असंभव ठहराते हुये प्रदेश सरकार से मांग की है कि पंजीकृत सभी किसानों से धान खरीदी का किये गये वादा को पूरा करने सुनिश्चित व्यवस्था करें ताकि ऐसे कोई भी किसान को धान औने-पौने बेचने की नौबत न आवे ।

ज्ञातव्य हो कि प्रदेश सरकार ने चालू कृषि वर्ष में सोसायटियों के माध्यम से पंजीकृत लगभग 24 लाख किसानों से 105 लाख मीट्रिक टन धान बनाये गये 2400 उपार्जन केन्द्रों के माध्यम से खरीदने का निर्णय ले खरीदी 1 दिसंबर से 31 जनवरी तक करने की घोषणा की थी । इस निर्धारित समयावधि में असामयिक बरसात की वजह से खरीदी पूरा न हो पाने की‌ स्थिति को देखते हुये शासन ने एक सप्ताह की वृद्धि करते हुये 1 फरवरी से 7 फरवरी तक शेष बचत धान को हर हालत में खरीदने का निर्देश सोसायटियों को दिया था ।

बढ़ाये गये तिथि में धान खरीदी हेतु महज सोमवार का दिन ही बाकी है । खाद्य मंत्री अमरजीत भगत द्वारा खरीदी तिथि और न बढ़ाये जाने संबंधी घोषणा के परिप्रेक्ष्य में श्री शर्मा ने कहा है कि श्री भगत द्वारा दिये गये जानकारी के अनुसार ही पंजीकृत 21.74 लाख किसानों ने 97.71 लाख मीट्रिक टन धान अभी तक बेचा है । श्री शर्मा के अनुसार इस हिसाब से अभी पंजीकृत लगभग 2 लाख किसानों से करीबन 7 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी किया जाना शेष है ।

उन्होंने आगे बतलाया है कि पूर्व में खरीदी हेतु निर्धारित दिसंबर व जनवरी माह के 62 दिनों में से महज 43 दिन ही सोसायटियों को धान खरीदी हेतु मिला था जिसमें से तकरीबन 15 दिन असामयिक बरसात का भेंट चढ़ गया था व महज 28 दिन ही खरीदी हो पाया। इसी तरह फरवरी माह में घोषित 7 दिनों में से महज 5 दिन ही खरीदी हेतु मिला दो दिन शनिवार व रविवार होने के कारण खरीदी नहीं होता । वास्तविक खरीदी अभी तक महज 32 दिन ही होने की जानकारी देते हुये उन्होंने बतलाया है कि इतने दिनों में प्रतिदिन औसतन 3 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की जा सकी है और अब महज खरीदी हेतु बचे सोमवार के एक दिन में 7 लाख मीट्रिक टन धान खरीद पाना सोसायटियों के‌ लिये असंभव है ।

किसानों द्वारा कम से कम 15 दिन खरीदी तिथि बढ़ाने की सामयिक मांग को दरकिनार कर महज 7 दिन ही बढ़ाने की वजह से यह स्थिति निर्मित होने की बात कहते हुये उन्होंने कहा कि एक ओर तो प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पंजीकृत किसानों से धान बेचने के मामले में निश्चिन्त रहने का आश्वासन देते हैं तो दूसरी ओर खाद्य मंत्री श्री भगत निर्धारित लक्ष्य से 7 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी बाकी रहने के बाद भी खरीदी तिथि नहीं बढ़ाने की घोषणा कर अपने ही सरकार की किरकिरी करा रहे हैं ।

श्री शर्मा ने शेष बचे पंजीकृत किसानों का धान खरीदी सुनिश्चित कराने की मांग करते हुये कहा है कि या तो ऐसे सभी किसानों को रविवार तक टोकन जारी कर इनके पंजीकृत रकबे का धान खरीदी पूर्ण होने तक समयसीमा तय न कर सोसायटियों को धान खरीदी करने का आदेश दें या फिर 15 फरवरी तक खरीदी हेतु समयसीमा में बढ़ोतरी करें नहीं तो शेष बचे किसानों को 1300 – 1400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से मंडियों में या फिर कोचियों को धान बेचना होगा और इस स्थिति में उन्हें सोसायटियों की तुलना में 1100 – 1200 रूपये प्रति क्विंटल नुकसान होगा ।

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