छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त का भुगतान 31 मार्च को

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। राज्य में सहकारिता फले-फूले, सहकारिता के क्षेत्र में बैंकिंग की गतिविधि बढ़ें, इसके लिए सहकारी बैंक की शाखाएं तथा प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों की संख्या बढ़ाई गई है, वहीं समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी किसान न्याय योजना, कृषि ऋण के वितरण के साथ गोधन न्याय योजना को भी सहकारिता के क्षेत्र से जोड़ा गया है। अब राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना को भी सहकारिता के क्षेत्र से जोड़ा जा रहा है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना की चौथी किश्त का भुगतान 31 मार्च को किया जाएगा। इसके साथ ही साथ वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन गोधन न्याय योजना और राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के हितग्राहियों को भी राशि का भुगतान किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लैलूंगा और कुनकुरी में अपेक्स बैंक की नई शाखा प्रारंभ होने से इस क्षेत्र के किसानों, ग्रामीणों और आदिवासी भाई-बहनों के समय और धन की बचत होगी।

मुख्यमंत्री ने किसानों से वर्मी कंपोस्ट का ज्यादा से ज्यादा उपयोग करने का आव्हान किया, उन्होंने कहा कि इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ेगी, भूमि की कठोरता में कमी आएगी और फसल की गुणवत्ता अच्छी होगी। सॉइल हेल्थ में सुधार के लिए भी वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करना होगा। इससे गौ माता की सेवा के साथ धरती माता की सेवा भी हो सकेगी। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष रासायनिक खाद की कमी की समस्या पूरे देश में थी। छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के तहत खरीदे गए गोबर से हमारे गौठानों में तैयार लगभग 8 लाख क्ंिवटल वर्मी कम्पोस्ट किसानों को सहकारिता के माध्यम से वितरित की गई। इस वजह से छत्तीसगढ़ के किसानों को खाद की कमी नही होने पाई।

रासायनिक खादों के उत्पादन के लिए कच्चे माल का विदेशों से आयात किया जाता हैै। रूस-यूक्रेन की लड़ाई के कारण इस वर्ष भी रासायनिक खाद की कमी हो सकती है। इसलिए हमें इस समस्या से निपटने के लिए पहले से तैयारी करनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान और पशुपालक अधिक से अधिक गोबर गौठानों में विक्रय करें, जिससे अधिक वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन हो सके और वर्मी कम्पोस्ट किसानों को उपलब्ध हो सके।

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