छत्तीसगढ़

राजधानी में कॉलेज के बाद अब स्कूल के एग्जाम भी ऑनलाइन करने की उठी मांग, छलका स्कूली छात्रों का दर्द, पहले लेटर में कही थी ये सभी बातें…

रायपुर। कल देर शाम जहां प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर कॉलेज के छात्रों को राहत दी तो वही परीक्षाओं को ऑनलाइन मोड से करवाने के लिए प्रदेश भर के बहुत से बच्चों ने मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया। मगर अब ऐसे में जहां एक तरफ कॉलेज के एग्जाम को ऑनलाइन किया गया है तो वही स्कूली बच्चों और उनके अभिभावकों ने ये मांग करनी शुरू कर दी है की स्कूल के एग्जाम भी ऑनलाइन मोड़ पर लिए जाए। अब इस आदेश को लेकर पेरेंट्स का मानना है कि स्कूली बच्चों को भी ऑनलाइन एग्जाम की सुविधा दी जानी चाहिए थी मगर सिर्फ कॉलेज के स्टूडेंट्स को छूट दी गई है।

कॉलेज के छात्रों को राहत और छोटे बच्चों की आफत – अभिभावक

कॉलेज के छात्रों को मिली राहत से कही ना कही अब स्कूली बच्चों के पेरेंट्स नाराज नजर आते है। कुछ अभिभावकों का कहना है की छोटे बच्चे में अब तक कोरोना का डर है तो वही बढ़ी गर्मी भी अब बच्चों को सताने लगी है ऐसे में स्कूली बच्चों का सोचना ये एक सिरे से गलत है। आपको बता दे कोरोना के खतरे के बावजूद एग्जाम सेंटर में बुलाकर बच्चों ने एग्जाम लिए गए। जबकि बच्चों को वैक्सीन भी नहीं लग पा रही है। इस बीच ऑफलाइन एग्जाम लेना जोखिम से कम नहीं था। कॉलेज के स्टूडेंट्स को सुविधा दी गई अच्छी बात है लेकिन स्कूली बच्चों को इस तरह से नजरअंदाज करना यह रवैया ठीक नहीं लगा।

छत्तीसगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने कही ये बात
छत्तीसगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने मीडिया से बात करते हुए कहा है की इस विषय को लेकर पिछले महीने उन्होंने छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेमसाय के काम से मुलाकात की थी। पत्र भेजकर यह मांग भी रखी थी कि स्कूली बच्चों की परीक्षा ऑनलाइन ली जाए। मगर इस मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजा यह रहा कि फरवरी के आखिर और मार्च में बच्चों ने स्कूल जाकर अपनी परीक्षाएं दीं।

ये पत्र देकर पालकों ने स्कूल में ऑनलाइन एग्जाम की मांग की थी।

क्रिस्ट्रोफर पॉल ने बताया कि परीक्षा से कुछ दिन पहले ही उसको छत्तीसगढ़ में स्कूल खोले गए थे। बच्चों को साल भर ऑनलाइन क्लास लेकर ही पढ़ाया गया था, पिछले साल भी इसी तरह से क्लासेस ली गई थी मगर तब ऑनलाइन की एग्जाम लिए गए, परीक्षा में सुविधा दी गई थी। स्कूली बच्चों को ऑनलाइन एग्जाम की जरूरत ज्यादा थी मगर यह सुविधा उन्हें नहीं दी गई।

 

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