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हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस, सुनवाई टालने का अनुरोध कर रहे याचिकाकर्ताओं को लगाई फटकार

कर्नाटक हिजाब बैन मामले में सुनवाई टालने से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. याचिकाकर्ताओं की तरफ से की गई मांग पर नाराज़गी जताते हुए जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ने कहा- “आप लगातार जल्द सुनवाई की मांग करते रहे. अब ऐसा अनुरोध स्वीकार नहीं किया जाएगा. हम नोटिस जारी कर रहे हैं. सोमवार, 5 सितंबर को सुनवाई होगी.”

2 जजों की बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस हेमंत गुप्ता ने याचिकाकर्ताओं की मांग को ‘फोरम शॉपिंग’ यानी सुनवाई की बेंच बदलवाने की कोशिश जैसा कहा. कर्नाटक सरकार के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता 6 बार जल्द सुनवाई की मांग कर चुके हैं. लेकिन अब जब मामला लगा है, तो इसे टालने की मांग कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट में आज इस मसले पर कुल 24 याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं. सभी में 15 मार्च को आए कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है. उस फैसले में हाई कोर्ट मैं स्कूल-कॉलेजों में यूनिफॉर्म के पूरी तरह पालन के राज्य सरकार के आदेश को सही ठहराया था. हाई कोर्ट के सामने कई याचिकाकर्ताओं ने मुस्लिम लड़कियों के स्कूल-कॉलेज में हिजाब पहनने को उनका धार्मिक अधिकार बताया था. लेकिन हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि लड़कियों का हिजाब पहनना इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है.

सुनवाई से पहले ही कई याचिकाकर्ताओं ने इसे टालने का अनुरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी भेज दी. जजों ने इस पर नाराजगी जताई, तो याचिकाकर्ताओं की तरफ से कोर्ट में मौजूद एक वकील ने कहा कि सभी लोगों को सुनवाई की तैयारी करने के लिए कुछ समय चाहिए. इस पर कोर्ट ने कहा, “तो क्या यह माना जाए कि बिना कोई तैयारी किए आप लोग इतने समय से लगातार सुनवाई का अनुरोध कर रहे थे.” वकील ने बंगलुरु से वकीलों के आने में समय लगने की बात कही. इस पर भी कोर्ट ने कहा कि 2 से ढाई घंटे की फ्लाइट से बंगलुरु से दिल्ली पहुंचा जा सकता है.

सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “यह शुद्ध रूप से एक कानूनी मसला है. इसमें कर्नाटक सरकार की तरफ से कोई विस्तृत जवाब दाखिल होने की जरूरत नहीं है. मैं अनुरोध करता हूं कि सुप्रीम कोर्ट मामले में नोटिस जारी करे और इसे जल्द सुन ले.” कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मामले में कर्नाटक सरकार को नोटिस जारी कर दिया और 5 सितंबर को सुनवाई की तारीख तय कर दी.

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