रायपुर

छत्तीसगढ़ में यह दो नई कंपनी लगाएगी प्लांट, 800 से ज्यादा लोगों को मिलेगी नौकरी

रायपुर:छत्तीसगढ़ में दो नई कंपनियों ने उद्योग लगाने के लिए करार किया है। इसमें एक कंपनी पोषण आहार और फोर्टीफाइड राइस बनाएगी। वहीं दूसरी कंपनी मक्का के स्टार्च और चावल की कनकी से एथेनाल बनाने का प्लांट लगाएगी। अधिकारियों का कहना है कि यह उद्योग लगने से स्थानीय लोगों को राेजगार भी मिलेगा।

उद्योग मंत्री कवासी लखमा की उपस्थिति में शुक्रवार को रायपुर स्थित उद्योग भवन में दो एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। पहला करार नई दिल्ली की सुरुचि फूड्स प्राइवेट लिमिटेडके साथ हुआ है। यह कंपनी पूरक पोषण आहार तथा फोर्टिफाइड राइस के लिए 111.7 करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

इस उद्योग से 800 लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। दूसरा करार उद्योग विभाग और यूनिटी इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड के बीच हुआ है। इसके तहत यह कंपनी मक्का आधारित कॉर्न स्टार्च और चावल की कनकी से एथेनाल बनाएगी। इसके साथ ही पावर प्लांट भी लगाएगी। इस परियोजना में कम्पनी 183 करोड़ रुपए का निवेश करने वाली है। इस उद्योग से लगभग 120 लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। उद्योग विभाग की ओर से विभागीय सचिव भुवनेश यादव और सुरुचि फूड्स की ओर से उसके संचालक हिमांशु गुप्ता और यूनिटी इंडस्ट्रीज के संचालक बसंत कुमार अग्रवाल ने हस्ताक्षर किए हैं।

चार साल में 194 एमओयू हो चुके

उद्योग विभाग की ओर से बताया गया है कि जनवरी 2019 से दिसम्बर 2022 तक के चार साल में सरकार और निजी कंपनियों के बीच औद्योगिक निवेश के लिए 194 एमओयू हो चुके हैं। इनमें से अभी 185 एमओयू प्रभावी हैं। इनमें कुल 93 हजार 467 करोड़ 27 लाख रुपए का निवेश प्रस्तावित है। इन उद्योगों में एक लाख 13 हजार 838 लोगों को रोजगार भी देने की बात है।

अभी तक हुए करार में 19 ने उत्पादन शुरू कर दिया है

अधिकारियों ने बताया है, पिछले चार साल में जो करार हुए हैं उनमें से 19 काे जमीन पर उतारा जा चुका है। यानी उन संयंत्रों ने उत्पादन शुरू कर दिया है। इसमें स्टील, फूड, इलेक्ट्रिक व्हिकल, टेक्सटाइल, डिफेंस, लघु वनोपज प्रसंस्करण और फार्मास्युटिकल्स की इकाइयां शामिल हैं। 33 इकाइयां निर्माणाधीन हैं और 87 इकाइयों ने उद्योग स्थापना की कार्रवाई शुरू कर दी है। इनकी बदौलत अभी तक चार हजार 941 करोड़ रुपए का पूंजी निवेश आ चुका है। इसमें तीन हजार 361 लोगों को काम भी मिला है।

चावल, गेहूं, जौ, मक्का और ज्वार का होगा इस्तेमाल

अब एथेनाल बनाने में चावल, गेहूं, जौ, मक्का और ज्वार जैसे अनाजों का इस्तेमाल किया जा सकेगा। हाल ही में मोदी सरकार ने अनाज आधारित भट्टियों की स्थापना और विस्तार को मंजूरी दे दी थी। मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 30 दिसंबर 2021 को हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति की बैठक में एथेनाल उत्पादन के लिए अनाज आधारित भट्टियों की स्थापना करना और मौजूदा अनाज आधारित भट्टियों का विस्तार करने की योजना को मंजूरी दी गई थी। बैठक के बारे में जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि अनाज से एथेनॉल बनने पर लगभग 175 लाख मीट्रिक टन अनाज (चावल, गेंहू, जौ, मक्का और ज्वार) का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

क्या है एथेनॉल और किस काम आता है?

एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। इथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है। इससे खेती और पर्यावरण दोनों को फायदा होता है। इसके अलावा इसका उपयोग वार्निश, पालिश, दवाओं के घोल तथा निष्कर्ष, ईथर, क्लोरोफ़ार्म, कृत्रिम रंग, पारदर्शक साबुन, इत्र तथा फल की सुगंधों का निष्कर्ष और अन्य रासायनिक यौगिक बनाने में होता है। पीने के लिए विभिन्न मदिराओं के रूप में, घावों को धोने में जीवाणुनाशक के रूप में तथा प्रयोगशाला में घोलक के रूप में इसका उपयोग होता है। पीने को औषधियों में यह डाला जाता है और मरे हुए जीवों को संरक्षित रखने में भी इसका उपयोग होता है।

कैसे बनता है एथेनॉल?

एथेनॉल दो विधियों से तैयार किया जाता है। इसमें पहली संश्लेषण विधि व दूसरी किण्वीकरण विधि है। संश्लेषण विधि-एथिलीन गैस को सांद्र सल्फ्य़ूरिक अम्ल में शोषित कराने से एथिल हाइड्रोजन सल्फ़ेट बनता है जो जल के साथ उबालने पर उद्धिघटित (हाइड्रोलाइज़) होकर एथिल ऐल्कोहल देता है। इस विधि का प्रचलन अभी अधिक नहीं है। किण्वीकरण विधि- इसके द्वारा किसी भी शक्करमय पदार्थ (गन्ने की शक्कर, ग्लूकोस, शोरा, महुए का फूल आदि) या स्टार्चमय पदार्थ (आलू, चावल, जौ, मकई आदि) से ऐल्कोहल व्यापारिक मात्रा में बनाते हैं।

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