ब्रेकिंग न्यूज: एक बीजेपी सांसद जाएंगे मोदी मंत्रिमंडल में…
रायपुर: भाजपा छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव को देखते हुए जल्दी ही कुछ प्रमुख नेताओं का कद बड़ा करने जा रही है। मोदी मंत्रिमंडल से लेकर संगठन में ऐसे नेताओं को पद दिए जाएंगे, जिनको भाजपा यहां प्रमुखता देना चाहती है। पार्टी पहले ही ऐलान कर चुकी है कि किसी को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश नहीं किया जाएगा, इसलिए भाजपा अपने नेताओं के ग्रुप के भरोसे चुनावी समर में उतरेगी।
यहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओबीसी (कुर्मी) वर्ग से आते हैं, इसलिए भाजपा की सत्ता वापसी की रणनीति में ओबीसी फैक्टर महत्वपूर्ण होता जा रहा है। इसीलिए केंद्रीय मंत्रिमंडल में दुर्ग के सांसद विजय बघेल को शामिल करने की संभावनाएं जताई गई है। पार्टी के रणनीतिकारों की सोच यह है कि राज्य के सांसदों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने से उनका कद बड़ा हो जाएगा। छत्तीसगढ़ में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है।
इसके बाद मई-जून 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इन दोनों चुनावों को देखते हुए भाजपा में निचले स्तर से तैयारियां तेज हो गई हैं। विधानसभा चुनाव के संदर्भ में कुछ दिनों पहले ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी अरुण साव को और नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी नारायण चंदेल को सौंपी गई है। भाजपा ने अपने प्रदेश प्रभारी को भी बदला है। डी. पुरंदेश्वरी के स्थान पर ओम माथुर ने कमान संभाल ली है। अजय जामवाल को भी संगठन की जिम्मेदारी देकर यहां भेजा गया है।
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि भाजपा की यह प्रक्रिया अभी जारी रहेगी। कुछ दिन पहले ही महिला मोर्चा की कार्यकारिणी का स्वरूप सामने आया है। इसमें कुछ नए चेहरे और कुछ पुराने चेहरों का मिश्रण किया गया है। यही फार्मूला आने वाले दिनों में भी नजर आएगा। कहा जा रहा है कि डा. रमन सिंह और बृजमोहन अग्रवाल जैसे नेताओं को राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चे में आगे रखा जाएगा। अगर विजय बघेल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह दी जाती है तो उनको भी राज्य में माहौल बनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी।
बघेल कुर्मी समाज से हैं तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव साहू समाज तथा नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल भी ओबीसी वर्ग से हैं। आने वाले दिनों में इसी वर्ग से और नेताओं को जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं। दरअसल हाल में चेहरे बदलने की कवायद से यह संदेश चला गया था कि पुराने नेताओं को किनारे किया जा रहा है। इसी को दुरुस्त करने के लिए पुराने नेताओं के साथ नई टीम का सामंजस्य बनाया जाएगा, ताकि संगठन में कोई असंतोष न रहे।
विजय बघेल का नाम कई कारणों से
सांसदों में ओबीसी वर्ग के विजय बघेल का नाम सामने आने के कई कारण हैं, जिनमें उनकी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से राजनीतिक प्रतिद्वंदिता का सर्वविदित होना भीहै। वे विधानसभा चुनाव में भूपेश को हरा भी चुके हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में रिकार्ड 3 लाख से अधिक मतों के अंतर से जीते भी हैं। पिछले दिनों वे दिल्ली गए तो यह चर्चा तेज हो गई थी कि केंद्रीय मंत्रिमंडल के संभावित फेरबदल में उनका नाम शामिल कर लिया गया है। लेकिन अभी इसकी पुष्टि अधिकृत तौर पर नहीं की जा रही है।
आदिवासी सीटों पर अलग फोकस
अब तक आदिवासी नेताओं को नेतृत्व देने वाली भाजपा ने अरसे बाद आदिवासी नेतृत्व के बजाय ओबीसी पर फोकस किया है। इसका कारण स्पष्ट तौर पर यही है कि भाजपा को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की राजनीति से मुकाबला करना है। 2023 के विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा के लिए आदिवासी वर्ग की महत्ता बनाए रखना भी चुनौती है। यही वजह है कि बस्तर के नेताओं को प्रमुख पदाें में एडजस्ट किया गया है। लिहाजा ऐसे संकेत हैं कि बस्तर के संदर्भ में भाजपा की राजनीति प्रदेश के बाकी हिस्सों से हटकर होगी।
राजनैतिक परिस्थिति के आधार पर फैसले
- “पार्टी में राजनैतिक परिस्थिति के आधार पर फैसले होते हैं। इसी के अनुरूप संगठन में ओबीसी से लेकर आदिवासी समुदाय तक, सभी को प्रतिनिधित्व मिला है। अभी भी जैसी राजनैतिक परिस्थिति होगी, संगठन के निर्णय उस पर आधारित होंगे।”
-अरुण कुमार साव, प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा