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बड़ी चट्टानों और गहरी खाई से भरा है चांद का साउथ पोल, कैसे बचाएगा चंद्रयान-3 अपने आपको….

भारत का चंद्रयान-3 मून मिशन 23 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला है. अभी तक किसी भी देश ने चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग नहीं की है. मून मिशन कामयाब होने के साथ ही भारत साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश बन जाएगा. रूस के लूना-25 चांद के साउथ पोल पर लैंड करने की रेस में चंद्रयान से आगे चल रहा था. हालांकि, रविवार को लूना चांद की सतह पर क्रैश हो गया. इस तरह अब चंद्रयान रेस में अकेला बचा है.चंद्रयान मिशन चांद की जिस जगह पर लैंड करने वाला है, वो उबड़-खाबड़ जमीन और बड़े-बड़े क्रेटर से भरी हुई है.

दुनियाभर की कई सारी स्पेस एजेंसियों ने चांद के साउथ पोल को एक्सप्लोर करने की कोशिश की है. साउथ पोल पर एक क्रेटर तो 19 किलोमीटर चौड़ा है. चांद के इस हिस्से पर सूरज की रोशनी उस तरह से नहीं पड़ती है, जिस तरह से बाकी के हिस्सों पर पड़ती है. इस वजह से यहां तापमान माइनस 200 डिग्री तक चला जाता है.

अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर चंद्रयान-3 मिशन जब चांद के साउथ पोल पर लैंड करेगा, तो वह यहां मौजूद उबड़-खाबड़ जमीन और क्रेटर से किस तरह से बचेगा. इस सवाल के उठने की वजह ये है कि अगर सॉफ्ट लैंडिंग नहीं होती है, तो मिशन फेल हो सकता है. आइए इस सवाल का जवाब जानते हैं.खुद को कैसे बचाएगा चंद्रयान?चंद्रयान-2 मिशन लैंडिंग के दौरान ही फेल हुआ था. इस बात को ध्यान में रखते हुए इसरो चंद्रयान-3 मिशन की सॉफ्ट लैंडिंग पर सबसे ज्यादा फोकस कर रहा है.

इसरो की तरफ से सोमवार को चार तस्वीरें शेयर की गईं. तस्वीर शेयर कर इसरो ने बताया कि ये तस्वीरें चंद्रमा के एक सुदूर क्षेत्र की हैं. इन्हें विक्रम लैंडर में लगे LHDAC डिवाइस के जरिए खींचा गया है.

सेफ लैंडिंग के लिए विक्रम के कैमरे के जरिए तस्वीरें ली जा रही हैं. ये कैमरा ही सेफ लैंडिंग के लिए जगह तलाशने में मदद कर रहा है. इसरो कैमरे की मदद से लैंडिंग की ऐसी जगह ढूंढ रहा है, जहां न तो बड़ी चट्टानें और न गहरी खाइयां, ताकि सॉफ्ट लैंडिंग को अंजाम दिया जा सके.

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