बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बीएड और डीएड धारियों में फंसे पेंच में आज हाइकोर्ट में अहम सुनवाई हुई। हाईकोर्ट बिलासपुर में डीएड पक्ष की ओर से सरकार के विरुद्ध दाखिल किये गए कंटेम्प्ट केस की सुनवाई हुई। न्यायाधीश नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि किसी की नौकरी छीनना किसी समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने सरकार को बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्तों को वर्ग-2 में शिक्षक पद पर समायोजित करने का सुझाव देते हुए कहा कि ये चयनित हैं, मिडिल स्कूल में शिक्षण की योग्यता रखते हैं तथा इन्हें 1 वर्ष शिक्षण का अनुभव भी प्राप्त है।
जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक हेतु योग्य नहीं माना है परंतु माध्यमिक स्कूलों में शिक्षण के लिए ये योग्य हैं। इन 2900 सहायक शिक्षकों के प्रति सरकार की ज़िम्मेदारी है, तथा सरकार के पास अपनी शक्तियाँ हैं जिनका प्रयोग कर इनकी सेवा सुरक्षित रखी जा सकती है।
गौरतलब है कि 2 अप्रैल 2024 को हाईकोर्ट द्वारा तथा 28 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से लगभग 2900 बीएड प्रशिक्षित नवनियुक्त सहायक शिक्षकों की नौकरी ख़तरे में आ गई है। ये सभी सहायक शिक्षक बस्तर और सरगुजा सम्भाग के सुदूर अंचल में विगत एक वर्ष से अपनी सेवाएं दे रहे हैं, अप्रत्याशित रूप से नियमों में बदलाव की वजह से इन पर पदमुक्ति का ख़तरा मंडरा रहा है। सभी बीएड प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों ने पूर्व में भी वर्ग 2 (मिडिल) में समायोजन के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को विभिन्न शिक्षक संगठनों के माध्यम से ज्ञापन सौंपा है। उनका कहना है कि सहायक शिक्षकों को शिक्षक पद पर समायोजित कर दिया जाए क्योंकि पूरी प्रक्रिया में अभ्यर्थियों का कोई भी दोष नहीं है। आज सभी 3000 शिक्षक सहित पूरे परिवार की आजीविका इसी नौकरी पर ही आश्रित है।
मामले की अगली सुनवाई 28 नवम्बर को है, इस दौरान हाईकोर्ट द्वारा सरकार को इन बिंदुओं पर विचार करने को कहा गया है।