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भारत की महिला ने 52 साल की उम्र में समुद्र की 150 किलोमीटर का सफर तैरकर किया पूरा

हैदराबाद। आंध्र प्रदेश की 52 वर्षीय साहसी तैराक गोली श्यामला ने समुद्र में 150 किलोमीटर तैरकर इतिहास रच दिया है। उन्होंने विशाखापत्तनम से काकीनाडा तक खुले समुद्र में यह असाधारण यात्रा पांच दिनों में पूरी की। यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत साहस का प्रतीक है, बल्कि यह साबित करती है कि उम्र केवल एक संख्या है और इच्छाशक्ति के बल पर कोई भी चुनौती पूरी की जा सकती है।

बता दें कि काकीनाडा जिले के समरलकोटा गांव की निवासी श्यामला ने 28 दिसंबर को कोरोमंडल ओडिसी महासागर तैराकी संगठन की निगरानी में अपनी यात्रा शुरू की। प्रतिदिन 30 किलोमीटर तैरकर उन्होंने पांच दिनों में 150 किलोमीटर का सफर पूरा किया। लहरों की तीव्रता और जेलीफिश जैसी समुद्री चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने अपनी मंजिल पाई। अपनी साहसिक यात्रा के अनुभव साझा करते हुए श्यामला ने बताया कि जहां डॉल्फिन ने उनका मनोरंजन किया, वहीं जेलीफिश ने राह में रुकावटें पैदा कीं। श्यामला के अनुसार, मानसिक और शारीरिक दृढ़ता के बल पर उन्होंने यह कठिन सफर पूरा किया।

उपलब्धि का जश्न-
काकीनाडा के सूर्यरावपेटा तट पर उनके पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया। पेड्डापुरम के विधायक चिनाराजप्पा और काकीनाडा नगर आयुक्त भावना वसिष्ठ ने उन्हें सम्मानित किया और उनकी साहसिक उपलब्धि की सराहना की। यह पहली बार नहीं है जब श्यामला ने समुद्र को चुनौती दी है। 2021 में उन्होंने पाक जलडमरूमध्य पार किया और इसी साल फरवरी में उन्होंने लक्षद्वीप के आसपास के पानी में तैराकी कर एशिया की पहली महिला तैराक के रूप में पहचान बनाई।

टीम का योगदान-
इस असाधारण यात्रा में श्यामला अकेली नहीं थीं। 14 सदस्यीय एक टीम, जिसमें मेडिकल स्टाफ और स्कूबा डाइवर्स शामिल थे, ने उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की। श्यामला की कहानी केवल एक शारीरिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह उम्र के बंधनों को तोड़ने और सपनों को साकार करने का प्रतीक है। यह उनकी इच्छाशक्ति, दृढ़ता और साहस का प्रमाण है। उनकी उपलब्धि उन सभी के लिए प्रेरणा है जो यह मानते हैं कि उम्र उनके सपनों में बाधा बन सकती है। श्यामला का साहस और उनकी कहानियां यह साबित करती हैं कि सही प्रयास और संकल्प से कोई भी सपना साकार किया जा सकता है।

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