
रायपुर। छत्तीसगढ़ के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (केवीएनपी) की विश्व खनिज सूची में प्राकृतिक श्रेणी को शामिल किया गया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि ये छत्तीसगढ़ के लिए बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि यह हर्ष का विषय है जिसे कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान द्वारा विश्व खड़ियाम की सूची में शामिल किया गया है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान केवल जनजातीय विविधता के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, बल्कि यह स्थानीय जनजातीय संस्कृति और इको-टूरिज्म को भी बढ़ावा देता है। इस सूची में वन्यजीव क्षेत्रों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचानना और पर्यटन को स्तर पर लाना और भी बढ़ावा देना शामिल है। यह उपलब्धि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गौरव का विषय है।
कांगेर घाटी में प्राकृतिक सौंदर्य और स्मारक संरचनाएँ
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान अपने मनमोहक प्राकृतिक दृश्यों, हरी-भरी घाटियों, गहरी खाइयों और झरनों के लिए प्रसिद्ध है। तीरथगढ़ जलप्रपात, जो कांगेर नदी से 150 फीट की ऊँचाई पर स्थित है, एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। कांगेर नदी अपने स्वच्छ जल और अद्वितीय रॉकी झील के कारण महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। इसके अलावा, कोटमसर, कैलास, दंडक और ऐसी 15 से अधिक गुफाएं अपने अनोखे प्राकृतिक स्वरूप और ऐतिहासिक महत्व के कारण देश और विदेश के दृश्य और थिएटर के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
भूवैज्ञानिक विशिष्टताएँ और जैव विविधताएँ
यह उद्यान अपनी भूवैज्ञानिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। यहां की कार्स्ट संरचनाएं, चट्टानों की गुफाएं, जल संरचनाएं और चट्टानों की परतें और मूर्तियां अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र हैं। इस क्षेत्र में भूवैज्ञानिक वैज्ञानिक देखे जाते हैं। पत्थर की गुफाएँ पृथ्वी के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र हैं।
जैव विविधता से भरपूर यह उद्यान में विभिन्न वनस्पति, वन्यजीव और विशेष प्रजातियाँ पाई जाती हैं। 963 प्रकार की वनस्पतियाँ, जिनमें 120 फ़ैमिली और 574 प्रजातियाँ शामिल हैं। यहाँ दुर्लभ ऑर्किड की 30 प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं। 49 स्तनपायी, 210 पक्षी, 37 सरीसृप, 16 उभयचर, 57 मछलियाँ और 141 तितली प्रजातियाँ हैं। बस्तर हिल मैना (छत्तीसगढ़ का राज्य पक्षी), ट्रैवणकोर वुल्फ स्नेक, ग्रीन पिट वाइपर, मोंटेन ट्रिंकेट स्नेक जैसी दुर्लभ प्रजातियाँ हैं।
बस्तर क्षेत्र में पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान बस्तर की समृद्ध जनजातीय संस्कृति को संरक्षित करता है। यहाँ गोंड और धुरवा जनजातियाँ रहती हैं, जो अपनी पारंपरिक रीति-रिवाजों, नृत्य, लोकगीतों और त्योहारों के लिए प्रसिद्ध हैं। इस क्षेत्र में स्थानीय आदिवासियों द्वारा हस्तशिल्प कला जैसे बांस शिल्प कलाकृतियाँ विशेष रूप से लोकप्रिय हैं। यहाँ के आदिवासी समुदाय प्रकृति से गहराई से जुड़े हुए हैं और जंगलों से जुड़ी अनेक कहानियाँ और मान्यताएँ पीढ़ियों से चली आ रही हैं। इको-टूरिज्म और साहसिक पर्यटन गतिविधियों में जंगल सफारी, बर्ड वॉचिंग, ट्रेकिंग, कयाकिंग, बम्बू राफ्टिंग, कैम्पिंग, होमस्टे, गुफा भ्रमण और फोटोग्राफी के बेहतरीन अवसर मिलते हैं, जिससे यह रोमांचक पर्यटन स्थल बनता है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक गुफाएँ, वन्यजीव, और सांस्कृतिक विरासत इसे छत्तीसगढ़ के प्रमुख पर्यटन स्थलों में शामिल करते हैं।
कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की विशेषताओं को देखते हुए इसे यूनेस्को ने अस्थायी सूची में शामिल किया है। उद्यान को यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल किया जाना बस्तर क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।