छत्तीसगढ़

बिना लोन लिए बनी कर्जदार! बैंक की गंभीर लापरवाही के चलते बुजुर्ग रसोईया की जिंदगी में ला दी आफत

बागबाहरा। जीवन भर बच्चों को भोजन परोसने वाली 62 वर्षीय रसोईया प्रेमीन बाई यादव इन दिनों खुद भूले से थाली में रोटी नहीं देख पा रही हैं, वजह है बडौदा बैंक की गंभीर लापरवाही, जिसने उनके खाते से बिना लिए ही 1 लाख रुपए के मुद्रा लोन की वसूली शुरू कर दी है।

यह मामला बागबाहरा स्थित बडौदा बैंक शाखा का है, जहां बिना ऋण लिए ही हितग्राही के खाते से बीते 10 महीनों से हर बार शासन द्वारा भेजा गया मानदेय काटा जा रहा है। प्रेमीन बाई यादव प्राथमिक शाला पटपरपाली में रसोईया हैं और अपनी पूरी जीविका इसी मामूली मानदेय पर आधारित है। परंतु बीते लगभग एक साल से उन्हें अपने काम की मेहनताना भी नहीं मिल पा रहा है।

जब समस्या गंभीर हुई, तो प्रेमीन बाई ने गांव के स्कूल शिक्षक और ग्रामीणों से मदद मांगी। शिक्षक उन्हें बैंक लेकर गए, जहां उन्हें बताया गया कि उन्होंने 1 लाख रुपए का मुद्रा लोन लिया है और अब उसकी वसूली की जा रही है। प्रेमीन बाई हैरान रह गईं, क्योंकि उन्होंने ऐसा कोई लोन कभी लिया ही नहीं।

जांच में सामने आया कि बैंक की लापरवाही से यह गलती हुई है। दरअसल, प्रेमीन बाई यादव के नाम के समान एक अन्य महिला प्रेमीन बाई बरिहा ने यह मुद्रा लोन लिया था। दोनों के नाम और आधार क्रमांक की त्रुटियों के चलते सिस्टम में खातों की जानकारी गड़बड़ा गई और वसूली प्रेमीन बाई यादव के खाते से शुरू हो गई।

बैंक प्रबंधन की ओर से इस गंभीर चूक पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया। शाखा प्रबंधक का कहना है कि महिला ने लोन लिया है, हमारे एजेंट वसूली के लिए उनके घर भी गए थे। रिकवरी प्रक्रिया नियमानुसार चल रही है। फिलहाल ऑडिट चल रहा है, ज्यादा जानकारी नहीं दी जा सकती। लेकिन सवाल यह है कि बिना नोटिस, बिना दस्तावेज सत्यापन और बिना लाभार्थी की जानकारी के कैसे किसी के खाते से राशि वसूली की जा सकती है

यह मामला न केवल बैंक की घोर लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह एक आम, गरीब महिला को बिना किसी गलती के मानसिक, आर्थिक और सामाजिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है। प्रशासन और बैंक अधिकारियों को इस पर तुरंत संज्ञान लेकर पीड़ित महिला को न्याय दिलाना चाहिए। साथ ही दोषी कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी और प्रेमीन बाई को ऐसी बेबसी न झेलनी पड़े।

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