
बीजापुर। सुरक्षा अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि केंद्रीय और राज्य सुरक्षा बलों ने छत्तीसगढ़-तेलंगाना सीमा पर कर्रेगुट्टा पहाड़ियों के आसपास घने जंगलों में 21 दिनों तक व्यापक अभियान में कम से कम 31 नक्सलियों को मार गिराया। उन्होंने कहा कि यह नक्सली खतरे के ‘‘अंत की शुरुआत’’ है।
केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के महानिदेशक जी पी सिंह और छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अरुण देव गौतम ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि 21 अप्रैल से शुरू हुए 21 दिवसीय अभियान के दौरान सुरक्षा बलों ने 31 माओवादियों के शव बरामद किए हैं, जिनमें से 28 की पहचान हो गई है।
छत्तीसगढ़ पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक (नक्सल विरोधी अभियान) विवेकानंद ने कहा, ‘‘अब तक मारे गए नक्सलियों पर 1.72 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। सुरक्षा बलों ने भारी मात्रा में हथियार जब्त किए हैं और नक्सलियों की चार तकनीकी इकाइयों को नष्ट कर दिया, जो हथियार और आईईडी बनाती थीं।’’
अधिकारियों ने कहा कि अभियान के दौरान तथ्यों और सूचनाओं का विश्लेषण करने के बाद यह विश्वास किया जा सकता है कि मुठभेड़ों के दौरान कई वरिष्ठ माओवादी नेता या तो मारे गए या गंभीर रूप से घायल हो गए।
सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ के एक सवाल पर कहा, ‘‘हमने जो भी करने का लक्ष्य रखा था, हमने उससे कहीं अधिक हासिल किया है। हमें विश्वास और खुशी है कि यह अंत की शुरुआत है और हम 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सली हिंसा को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य हासिल कर लेंगे।’’
अधिकारियों ने बताया कि अत्यंत दुर्गम इलाका होने के कारण सुरक्षा बल सभी शवों को बरामद नहीं कर पाए हैं और न ही घायलों को गिरफ्तार कर पाए हैं। उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों ने 35 हथियार और भारी मात्रा में गोला-बारूद बरामद किया है, जिसमें स्वचालित, अर्द्ध-स्वचालित और देशी हथियार भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान 450 आईईडी और बड़ी संख्या में डेटोनेटर, विस्फोटक उपकरण के अलावा 12,000 किलोग्राम अन्य सामग्री जब्त की गई है, जिसमें चिकित्सा आपूर्ति, बिजली उपकरण, नक्सल साहित्य शामिल हैं।
सुरक्षा बलों ने नक्सलियों की हथियार बनाने वाली चार फैक्टरी को नष्ट कर दिया, जहां जनरेटर, ड्रिल, मोटर और कटर मिले हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इस ऑपरेशन को देश को नक्सल मुक्त बनाने के संकल्प में सुरक्षा बलों की ऐतिहासिक सफलता करार दिया।
शाह ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘मैं एक बार फिर देशवासियों को आश्वस्त करता हूं कि 31 मार्च 2026 तक भारत नक्सल मुक्त हो जाएगा।’’
अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने इस अभियान से संबंधित 17 प्राथमिकियां दर्ज की हैं और इसमें राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की भी मदद ली जा रही है।
सीआरपीएफ के महानिदेशक जी पी सिंह ने कहा कि सुरक्षा बल 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के लिए ‘‘निरंतर एवं कठोर’’ अभियान चला रहे हैं।
सिंह ने कहा कि 2014 में शुरू हुआ नक्सल विरोधी अभियान 2019 से और तेज तथा अधिक केंद्रित हो गया है, जिसमें केंद्रीय अर्द्धसैन्य बल नक्सलवाद को खत्म करने की प्रतिबद्धता के साथ राज्य पुलिस के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रहे हैं।
जमीनी स्तर पर अभियानों के प्रभावों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 में सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 35 थी जो 2025 में अब घटकर छह रह गई है। वहीं, इस अवधि में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 से घटकर 18 हो गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘2014 में हिंसक घटनाओं की संख्या 1,080 थी, जो 2024 में घटकर 374 हो गई। 2014 में नक्सली हिंसा में मारे गए सुरक्षाकर्मियों की संख्या 287 थी, जो 2024 में घटकर 19 हो गई। इस अवधि के दौरान ढेर किए गए नक्सलियों की संख्या 2089 तक पहुंच गई है।’’
सिंह ने बताया कि 2024 में 928 नक्सली सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर चुके हैं, जबकि इस साल अब तक 718 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
सुरक्षा बल नक्सलियों को उनके ठिकानों से खदेड़ने की कोशिश कर रहे हैं। इन इलाकों में अब तक 320 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए हैं, इसके अलावा रात में लैंडिंग के लिए 68 हेलीपैड भी बनाए गए हैं।
सीआरपीएफ महानिदेशक कहा, ‘‘हम निरंतर और कठोर अभियानों के माध्यम से 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’