
ऑर्थो पेशेंट की मौत पर बवाल, ओम हॉस्पिटल पर लापरवाही के गंभीर आरोप डीडी नगर थाना में प्रदर्शन, डायरेक्टर के कारोबारी रोल पर भी उठे सवाल
रिपोर्टर अखिलेश द्विवेदी
रायपुर। राजधानी रायपुर का ओम मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों के घेरे में है। घुटने के नीचे के मामूली इलाज के लिए भर्ती एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। घटना के बाद परिजन और स्थानीय लोग भड़क गए और डीडी नगर थाना पहुंचकर अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
परिजनों का आरोप है कि साधारण ऑर्थो ट्रीटमेंट के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही से मरीज की जान चली गई। सवाल उठाया गया कि छोटी सी हड्डी के ऑपरेशन में आखिर मौत कैसे हो सकती है? परिजनों ने कहा, “तीन-चार दिन से ऑपरेशन टालते रहे, आज अचानक वेंटिलेटर पर डाल दिया और देखने तक नहीं दिया। जब पूछो तो जवाब नहीं। यह सीधी-सीधी लापरवाही है।”
विरोध कर रहे लोगों ने अस्पताल के डायरेक्टर विक्की अग्रवाल पर भी सवाल उठाए। उनका कहना है कि अग्रवाल खुद को न्यूज़ चैनल का मालिक बताते हैं और मीडिया के प्रभाव के जरिए अस्पताल पर लगे आरोपों को दबाने की कोशिश करते हैं।
पुराने विवादों में भी घिरा अस्पताल
यह पहला मौका नहीं है जब ओम हॉस्पिटल पर लापरवाही के आरोप लगे हों। इससे पहले भी:
एक गर्भवती महिला की मौत के मामले में प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठे थे।
एक मरीज को गलत दवा देने के आरोप में स्वास्थ्य विभाग ने नोटिस जारी किया था।
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया था कि बिना ज़रूरत के मरीजों को ICU में भर्ती कर भारी-भरकम बिल वसूला जाता है।
अस्पताल प्रबंधन का पक्ष
अस्पताल डायरेक्टर विक्की अग्रवाल ने कहा कि महिला चार-पांच दिन पहले भर्ती हुई थी और उसकी मौत हो गई। उनके मुताबिक महिला को महिलाओं से जुड़ी समस्या थी, जिसके कारण ऑर्थो सर्जरी में देरी हुई। उन्होंने दावा किया कि मौत के मामलों में अस्पताल पैसे नहीं लेता। वहीं, परिजनों ने उनके बयान को झूठा बताते हुए कहा कि वे पहली बार इस अस्पताल में आए थे।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मामला महज़ एक मरीज की मौत का नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम की लापरवाही और मरीजों की ज़िंदगी से खिलवाड़ का है। जब इलाज के नाम पर जीवन की कीमत वसूली जाने लगे, तो ऐसे अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई ज़रूरी हो जाती है।