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65 साल तक नौकरी कर सकेंगे सरकारी कर्मचारी? दो महीने के भीतर मोदी सरकार लेगी अहम फैसला, अच्छे दिन आएंगे?

नई दिल्ली| केंद्र सरकार के कर्मचारियों की रिटायरमेंट की उम्र-सीमा बढ़ाने को लेकर चर्चा छिड़ती रहती है। अक्सर ये बात सामने आती रही है कि केंद्र सरकार कर्मचारियों के रिटायरमेंट की उम्र को लेकर कोई अहम फैसला लेने जा रही है, लेकिन सरकार की ओर से कई बार ऐसी खबरों का खंडन किया जा चुका है। वहीं, इस बीच केंद्र सरकार ने पंजाब विश्वविद्यालय के शिक्षकों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने को लेकर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट से दो महीने का अतिरिक्त समय मांगा है।

दरअसल हाई कोर्ट ने 5 अगस्त को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर दो महीनों के भीतर “उचित और तर्कसंगत निर्णय” लेने का निर्देश दिया था। यह मुद्दा चंडीगढ़ स्थित विश्वविद्यालय विभागों के साथ-साथ पंजाब और चंडीगढ़ (UT) में PU से संबद्ध कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकों को प्रभावित करता है।

अवर सचिव संजय कुमार की ओर से दायर हलफ़नामे में मंत्रालय ने कहा है कि वह अभी भी विश्वविद्यालय के विनियमन 17.3 में संशोधन संबंधित प्रस्ताव का मूल्यांकन कर रहा है और विभागों के बीच परामर्श तथा कानूनी, वित्तीय और प्रशासनिक पहलुओं का आकलन पूरा करने के लिए अधिक समय आवश्यक है। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्य पाल जैन द्वारा अदालत में प्रस्तुत हलफ़नामे में दर्ज है कि पंजाब सरकार पहले ही PU शिक्षकों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने के प्रस्ताव से असहमति जता चुकी है। मंत्रालय ने कहा है कि राज्य सरकार की टिप्पणियों की वर्तमान में समीक्षा की जा रही है। बता दें कि PU के शिक्षकों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) की कई परिपत्रों का हवाला देते हुए तर्क दिया है कि उन्हें केंद्रीय विश्वविद्यालयों के समान सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष का अधिकार है। केंद्र सरकार ने जोर देकर कहा है कि पंजाब विश्वविद्यालय पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत एक Inter-State Body Corporate है, इसलिए सेवा शर्तों पर किसी भी निर्णय के लिए सभी हितधारकों से परामर्श अनिवार्य है। मंत्रालय ने बताया कि इस संबंध में पंजाब सरकार, PU प्रशासन और अन्य संबंधित संस्थाओं से बातचीत शुरू कर दी गई है।

हलफ़नामे के अनुसार, मंत्रालय वर्तमान में सेवानिवृत्ति आयु से संबंधित सरकारी नीति, विभिन्न हितधारकों के इनपुट और अन्य प्रशासनिक पहलुओं की समीक्षा कर रहा है, ताकि एक अंतिम निर्णय लिया जा सके। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल जैन ने अदालत को बताया कि यह मुद्दा “विस्तृत परीक्षण” की मांग करता है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस मामले पर प्राथमिकता के आधार पर विचार कर रही है, लेकिन अदालत के निर्देशों का पालन करने के लिए अधिक समय आवश्यक है। इसलिए, मंत्रालय ने दो महीने की मोहलत देने का अनुरोध किया है, ताकि विस्तृत और तर्कसंगत निर्णय अदालत में प्रस्तुत किया जा सके।

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