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सुपरमून’ की अद्भुत घटना के गवाह बने भारतीय, जानिये इस दुर्लभ संयोग से जुड़ी खास बातें

2 अगस्त 2023 भारत के लोग दुनिया के अन्य लोगों के साथ इस महीने में पहले दुर्लभ ‘सुपरमून’ के गवाह बने। इस महीने दो बार ‘supermoon’ की घटना देखने को मिलेगी। एम.पी. बिड़ला तारामंडल के पूर्व निदेशक देबीप्रसाद दुआरी ने यह जानकारी दी।

घटना के बारे में बताते हुए खगोल वैज्ञानिक दुआरी ने कहा कि चंद्रमा 27.3 दिनों में एक बार दीर्घवृत्ताकार कक्षा में पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। परिणामस्वरूप, अपनी कक्षा में किसी बिंदु पर यह पृथ्वी से सबसे दूर होगा। दूर के बिंदु को ‘apogee’ कहा जाता है और किसी अन्य समय में पृथ्वी के सबसे निकट होने की स्थिति को ‘perigee’ कहा जाता है।

दरअसल जब सूर्य की रोशनी से रौशन चंद्रमा पृथ्‍वी के बेहद नजदीक से गुजरता है, तो ये काफी बड़ा, चमकदार और भव्‍य नजर आता है. इस बीच चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी 2 लाख 24 हजार 865 मील रह जाती है. आम बोलचाल की भाषा में इसे सुपरमून कहा जाता है. साल में आपको सुपरमून की घटनाएं तो देखने को मिल सकती हैं, लेकिन एक महीने में दो बार सुपरमून की घटना को बेहद दुर्लभ माना जाता है.

सुपर मून क्या है?

ब्रिटिश वेबसाइट ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक सुपर मून (Supermoon) एक दुर्लभ और प्रभावशाली चंद्र घटना है, जिसे आप साल में केवल कुछ ही बार देख सकते हैं. जब भी ऐसा होता है, तब आसमान में विशालकाय चंद्रमा के दर्शन होते हैं. खगोलविदों के अनुसार सुपर मून का बनना 2 अलग-अलग खगोलीय प्रभावों का संयोजन है. जब सूर्य की पूरी रोशनी से नहाया हुआ पूरा चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीकी बिंदु के पास से गुजरता है तो वह हमें विशाल और भव्य रूप में दिखाई देता है. इसी घटना को हम पूर्ण चंद्रमा यानी सुपरमून कहते हैं. यह स्थिति तब आती है, जब चांदनी रोशनी से चमक रहा पूर्ण चंद्रमा पृथ्वी के 224,865 मील के दायरे में आ जाता है.

उन्होंने कहा, ‘‘ यह उत्साहजनक है क्योंकि संयोग से चंद्रयान-3 का मॉड्यूल चंद्रमा की कक्षा की ओर रुख करेगा। ” चंद्रयान-3 के 23 अगस्त को चंद्रमा पर उतरने का कार्यक्रम है। दुआरी ने कहा, चंद्रमा अंडाकार कक्षा में घूमते हुए 27.3 दिन में पृथ्वी का एक चक्कर लगाता है। इसका नतीजा है कि कक्षा में एक समय आता है जब वह पृथ्वी से सबसे दूर होता है और उस बिंदु को अपोजी कहते हैं और जब वह सबसे नजदीक आता है तो उस बिंदु को पेरिजी कहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘जब पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पेरिजी के नजदीक होता या पृथ्वी के करीब होता है तो उसे हम ‘सुपरमून’ कहते हैं।” दुआरी ने कहा कि सुपरमून सामान्य से सात प्रतिशत बड़ा और 16 प्रतिशत चमकीला दिखता है।

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