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आखिर क्यों जयपुर को “पिंक सिटी” कहा जाता है?

जयपुर, राजस्थान की राजधानी, “गुलाबी नगर” के रूप में प्रसिद्ध है और यह भारत में एकमात्र ऐसा नगर है जिसकी योजना और निर्माण को किसी गढ़िया विशेषज्ञ की खूबसूरत कला कहा जाता है। जयपुर की गवर्नर, महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने इसे 18वीं सदी में नगर की योजना के साथ बनवाया था। शहर की सड़कों का नक्शा ग्रिड पैटर्न में बनाया गया है, जिससे यह खिलवाड़ से भरपूर दिखता है। शहर की उपनगरियाँ खिलौना की तरह दिखती हैं, जिनका प्रयोग दुर्गों और उनके पास रहने वाले लोगों की सुरक्षा में होता था।

जयपुर को “गुलाबी शहर” क्यों कहा जाता है?

मान्यता के अनुसार, जयपुर को पिंक शहर कहने का कारण यह है कि 1876 ईस्वी में महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने ब्रिटिश राज शासकीय परिषद सदस्यों के स्वागत के लिए शहर को गुलाबी रंग में रंगवाया था। इस समय, गुलाबी रंग शांति, मितव्यय, और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता था, और महाराजा ने इसे ब्रिटिश साम्राज्य के साथीत्व और मित्रता की ओर एक प्रतीक के रूप में उपयोग किया। गुलाबी शहर का यह नाम समृद्धि और प्राकृतिक सौंदर्य की प्रतीकता के रूप में भी जाना जाता है। जयपुर में गुलाबी रंग की पत्थरों से बनी भव्य संरचनाएं, शानदार महल और हवेलियाँ, और साहसिक दरबार सभाएं हैं जो इस शहर की विशेषता को और भी प्रखर करती हैं।

इस तरीके से, जयपुर को “गुलाबी शहर” कहने का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि यह शहर अपने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और सौंदर्यिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। जयपुर का एक और दिलचस्प तत्व है “हवा महल” जो एक अत्यंत विशेष निर्माण है। यह महल शहर के महाराजों को गरमियों में ठंडी हवा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसमें 953 छोटी-बड़ी खिड़कियाँ हैं जिनसे ताज़ा और ठंडी हवा आती थी, और यह शहर की गरमियों में एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता था। इस रूप में, जयपुर अपने अद्वितीय शहरी निर्माण, गवर्नमेंट डिज़ाइन, और ऐतिहासिक धरोहर के साथ भारतीय सभ्यता और कला का महत्वपूर्ण हिस्सा बनता है।

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